Rajasthan: श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण और पिंडदान की परंपरा पूरे देश में निभाई जाती है। इसी कड़ी में मंगलवार 16 सितंबर को राजस्थान के जोधपुर से नौ किलोमीटर दूर मंडोर में श्राद्ध पक्ष की दशमी को दवे-गोधा श्रीमाली ब्राह्मण समाज के गोदा गोत्र के परिवारों ने परंपरा के मुताबिक रावण का तर्पण और पिंडदान किया। ये लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। Rajasthan
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मान्यता है कि जोधपुर का मंडोर क्षेत्र रावण का ससुराल था। कहा जाता है कि मंदोदरी मंडोर की राजकुमारी थीं। इस शहर में आज भी रावण को समर्पित एक मंदिर मौजूद है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसे उसके वंशजों ने बनवाया था। लोगों का कहना है कि वे पीढ़ियों से रावण के सम्मान में ‘तर्पण’ और ‘पिंडदान’ अनुष्ठान करते आ रहे हैं।
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समुदाय के लोगों का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वे रावण के वंशज हैं। उनके मुताबिक रावण एक महान ज्ञानी व्यक्ति था और उसमें ऐसे कई गुण थे जिनसे सीख ली जा सकती है। चूंकि रावण भगवान शिव के सबसे बड़े भक्तों में से एक था, इसलिए उसका मंदिर मंडोर में अमरनाथ और नवग्रह मंदिरों के साथ बनाया गया था। खुद को रावण का वंशज बताने वाले लोग मानते हैं कि रावण की पूजा करने से गहन वैदिक ज्ञान हासिल होता है। Rajasthan