बढ़ती महंगाई के दौर में जनता के लिए एक और झटके की खबर सामने आयी है। कम दर पर मिलने वाला ब्याज ,महंगा हो गया है। जिससे आम नागरिक की पॉकेट पर भारी असर पड़ेगा। दरअसल रिज़र्व बैंक ने बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी का एलान किया है। वित्त वर्ष 2023 की आखिरी क्रेडिट पॉलिसी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने फैसलों का एलान आज हो गया है। बता दें भारतीय रिज़र्व बैंक की मॉनेटरी ने पॉलिसी बैठक की। बैठक का आज आखिरी दिन था। इसी दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जानकारी में बताया रेपो रेट में 0.25% की बढ़ोतरी की गयी है जो 0.25% से बढ़ाकर 6.50 % किया गया है जो की पहले 6. 25 फीसदी पर था। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार सुबह बैठक के माध्यम से एलान किया और कहा ग्लोबल इकोनॉमी में उतार चढ़ाव का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है।
बता दें मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक हर दो महीने में की जाती है। इस वित्त वर्ष की पहली बैठक अप्रैल में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4 % पर स्थिर रखा था। लगातार बढ़ते महीनों के साथ रेपो रेट बढ़ाया गया। अप्रैल के बाद जून में ब्याज दर 4.90%, अगस्त 5.40%,सितंबर 5.90% दिसंबर ब्याज दर 6.25%किया गया। कुल मिलाकर 5 बार में 2. 25 % की बढ़ोतरी हुई है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। लेकिन बढ़ती दर जनता की मुश्किलें बढ़ा सकती है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को RBI से ज्यादा कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है। वहीं रिवर्स रेट में बैंको की ओर से जमा राशि पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी, यानी नगदी को नियंत्रित किया जाता है। रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।
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जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं। साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को RBI से ज्यादा कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।
हालांकि RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने 2023-24 की चौथी तिहाई में मुद्रास्फीति औसतन 5.6% रहने की उम्मीद और रियल GDP ग्रोथ 6.4% की संभावना जताई है।
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