Treatment: ICMR की पहल पर 13 अस्पतालों में किए गए एक अध्ययन में पाया कि ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले 44.87 प्रतिशत मरीजों की पर्ची लिखने में दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है या फिर लापरवाही बरती जाती है। दवा की हर दसवीं पर्ची में गंभीर खामियां होती हैं। मरीजों को गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है।
इलाज में मरीजों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो या अस्पतालों में मरीजों की भीड़ का असर हो, मरीजों की पर्ची लिखने में लापरवाही होती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की पहल पर 13 अस्पतालों में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले 44.87 प्रतिशत मरीजों की पर्ची लिखने में दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है या वह आधी अधूरी होती है।
दवा की पर्ची में हर दसवें मरीज में गंभीर खामियां होती हैं। मरीज गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करते हैं। हाल ही में यह अध्ययन Indian Journal of Medical Research में प्रकाशित हुआ है।
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बता दें, 13 अस्पतालों (एम्स दिल्ली, सफदरजंग, एम्स भोपाल, केईएम मुंबई, पीजीआइ चंडीगढ़, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना) के फार्माकोलाजी विभागों के डाक्टरों ने इस अध्ययन में भाग लिया है। अगस्त 2019 से अगस्त 2020 के बीच, निजी और सरकारी अस्पतालों में कम्युनिटी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, सर्जरी, पीडियाट्रिक, गायनी, त्वचा रोग और नेत्र विज्ञान विभागों में इलाज कराने वाले 4,838 मरीजों की पर्चियां एकत्रित करके अध्ययन किया गया। 55.1 प्रतिशत पर्ची में डाक्टरों ने दिशा-निर्देशों का ठीक से पालन किया था।
44.87% पर्ची में खामियां थीं। 38.65 प्रतिशत पर्ची पर दवा की डोज, कितनी बार और कब लेनी चाहिए यह नहीं लिखा था। 9.8 प्रतिशत (475) पर्ची में दवा लिखने में गंभीर खामियां थीं। इसलिए अध्ययन में शामिल करीब छह प्रतिशत मरीजों के इलाज पर अधिक खर्च आया। दवा से पांच प्रतिशत लोगों को गंभीर दुष्प्रभाव हुए। अध्ययन में पाया गया है कि मरीजों को बीमारी की दवा के साथ-साथ दवा के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अनावश्यक रूप से दवा लिखी गईं। पैंटोप्राजोल, रबेप्राजोल और डोम्पेरिडोन कंबाइंड डोज की दवा और ओरल एंजाइमों पर बहुत कम लेख लिखे गए हैं। श्वसन तंत्र के ऊपरी भाग में संक्रमण और हाइपरटेंशन की दवा लिखने में अधिक खतरा पाया गया था।
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दवा लिखने वाले सभी डॉक्टरों ने चार से आठ वर्ष का अनुभव किया था और एमडी या एमएस थे। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दिशा निर्देशों के खिलाफ एंटासिड के साथ रबेप्राजोल व डोम्पेरिडोन कंबाइंड डोज की दवा कई मरीजों को दी गई। इसी तरह, अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक इंफेक्शन (यूआरटीआई) के इलाज के लिए एजिथ्रोमाइसिन, एफडीसी एमोक्सिलिन और क्लैवुलैनीक एसिड की दवा भी लिखी गई थी। एंटीबायोटिक दवाओं का गलत इस्तेमाल इसके बेअसर होने का खतरा बढ़ाता है।
सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डा. जुगल किशोर ने कहा कि पर्ची लिखने में गड़बड़ी के कारणों का अध्ययन करते समय यह भी देखना होगा कि अध्ययन कब हुआ था। 2020 में कोरोनावायरस का प्रसार हुआ था। तब एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं लिखी जाती थीं। इसके अलावा, अस्पतालों में भारी भीड़ के कारण डॉक्टर मरीज को बोलकर समझाते समय पर्ची पर नहीं लिख पाते। इसके बावजूद, पर्ची लिखने में कोई गलतियाँ नहीं होनी चाहिए। दवाओं का सही इस्तेमाल किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार इसके लिए भी काम कर रही है। दवाओं का दुरुपयोग रोकने के लिए और अधिक अध्ययन होने चाहिए।