SC: सुप्रीम कोर्ट ने आज देशभर में बुलडोजर एक्शन को लेकर सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट(SC) ने कहा आरोपी या दोषी होने पर किसी का घर नहीं गिरा सकते, ये कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने बुलडोजर एक्शन के मद्देनजर गाइडलाइन्स भी कर दीं हैं।
Read Also: राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू हुआ हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र, पेश हुआ सरकार का रोड मैप
आपको बता दें, देश की सुप्रीम अदालत ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन मामले पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगाने के फैसले को बरकरार रखा है और साफ शब्दों में कहा कि सिर्फ आरोप के आधार पर किसी आरोपी के घर को नहीं गिराया जा सकता। SC की बेंच ने कहा कि वे महिलाओं, बच्चों के रात भर सड़कों पर रहने से खुश नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स के मुताबिक बुलडोजर एक्शन के समय कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाएगी। आरोपितों और दोषियों के पास संवैधानिक अधिकार हैं जिनका वे इस्तेमाल कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका जज नहीं बन सकती, आरोपित को दोषी घोषित नहीं कर सकती और न ही उसका घर गिरा सकती है। SC की गाइडलाइन्स के मुताबिक ‘कारण बताओ’ नोटिस दिए बिना और नोटिस दिए जाने के 15 दिन के अंदर कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।
Read Also: मध्य प्रदेश उप-चुनाव: केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सपरिवार बुधनी में डाला वोट
SC की बेंच ने कहा बुलडोजर एक्शन पर मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं है। मनमाने तरीके से घर गिराया तो प्रशासन इसके लिए जिम्मेदार जिम्मेदार होगा। इसके साथ ही अवैध कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए। अगर अवैध तरीके से घर तोड़ा गया तो पीड़ितों को उसका मुआवजा मिले। बिना मुकदमे के मकान नहीं गिरा सकते। सरकार की जिम्मेदारी है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखें। कोई सरकारी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकता। लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकार की रक्षा जरूरी होती है। घर लोगों का सपना है ये कभी न टूटे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक जमीन पर अवैध निर्माण हुआ तो वहां ये निर्देश लागू नहीं होंगे।
