अमन पांडेय : महाराष्ट्र में शिवसेना पार्टी चुनाव चिन्ह और नाम को लेकर उध्दव ठाकरे और एकनात शिंदे के पीछले कुछ समय से तनातनी चल रही थी। जिसे लेकर मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया था। इसी बीच चुनाव आयोग ने बडा फैसला सुनाया है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी का नाम शिवसेना और धनुष और तीर का पार्टी चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा। ईसीआई ने गुट को दिए गए पहले के नाम बालासाहेबंची शिवसेना – और दो तलवारों और ढालों के प्रतीक को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। Shivsena news Mharashtr news
उध्दव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुटों को अलग-अलग पार्टी के नाम और सिंबल आवंटित किए गए थे। नवंबर 2022 में हुए अंधेरी पूर्व उपचुनाव में शिवसेना पार्टी के नाम और धनुष और तीर के प्रतीक का उपयोग करने से दोनों गुटों को रोक दिया गया था। राजनीतिक दल में विभाजन कोई घटना नहीं है। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें दोनों गुटों ने वास्तविक पार्टी के रुप में मान्यता की मांग की है।
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सबसे महत्वपूर्ण मामला जो बेंचमार्क बन गया, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का है, जो 1969 में विभाजित होकर दो दलों कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई) के गठन का कारण बना।1978 में कांग्रेस दूसरी बार विभाजित हुई जब कांग्रेस (इंदिरा) और कांग्रेस (उर्स) बनाई गई।
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