न्यायाधीश सूर्यकांत- कानूनी सहायता आसान बनाना न्याय का मूल तत्व

Supreme Court: Justice Surya Kant - Making legal aid accessible is the essence of justice

Supreme Court: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सूर्यकांत ने शनिवार 8 नवंबर को कहा कि कानूनी सहायता की उपलब्धता को आसान बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग स्थानीय ज्ञान, भाषाई सुगमता और मानवीय सहानुभूति से निर्देशित होना चाहिए। कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत करने पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में स्वागत भाषण देते हुए, न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि न्याय प्रणाली का असली मापदंड ये नहीं कि जटिल मामलों को कितनी तेजी से निपटाया जाता है, बल्कि ये है कि वो आम नागरिकों के जीवन को कितनी गहराई से प्रभावित करती है।

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मनोनीत मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भविष्य की ओर देखते हुए, हमें कानूनी सहायता प्राप्त करना आसान बनाना होगा। इसके लिए प्रशासनिक सुधार और मानवीय व्यवहार दोनों की आवश्यकता है। ऑनलाइन सुलह और डिजिटल शिकायत पोर्टल जैसे वास्तविक अवसर प्रदान करती है, लेकिन सिर्फ तकनीक ही पर्याप्त नहीं होगी। इसे स्थानीय ज्ञान, भाषाई सुगमता और मानवीय सहानुभूति से निर्देशित होना चाहिए। उन्होंने कहा, ये उन लोगों के बीच साझेदारी है जो कानून की व्याख्या करते हैं, जो इसे लागू करते हैं और जो हमारे देश के सुदूर कोनों तक इसका प्रकाश ले जाते हैं। Supreme Court

उन्होंने कहा, जब हमारा संविधान बनाया गया था, तो लक्ष्य केवल एक कानूनी व्यवस्था बनाना नहीं था, बल्कि एक ऐसा तंत्र विकसित करना था जो सभी के लिए निष्पक्षता, मानवीय गरिमा और समान सुरक्षा सुनिश्चित करे। कानूनी सहायता ही वो जगह है जहां ये योजना वास्तविकता से मिलती है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि लाखों लोगों को सुलह मंचों के माध्यम से लंबी मुकदमेबाजी से बचाया गया है। लाखों लोगों को बिना किसी खर्च प्रतिनिधित्व मिला है। कई पीड़ितों को वैधानिक मुआवजा मिला है।

हजारों लोगों के विवादों का मध्यस्थता के माध्यम से समाधान हुआ है। हर नतीजा कानून को आम जीवन के लिए राहत और स्थिरता में परिवर्तित करता है। उन्होंने कहा कि ये केवल संख्याएं नहीं हैं, ये वे लोग हैं जिनकी समस्याओं का व्यावहारिक मदद से समाधान किया गया। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि हाल के वर्षों में कानूनी सहायता आंदोलन और भी गहरा हो गया है और इसकी पहुंच और बढ़ गई है। उन्होंने कहा, इस मिशन के लिए साझा स्वामित्व की आवश्यकता है। न्यायाधीश, वकील, कानूनी शिक्षक, कानून के छात्र, अर्ध-कानूनी स्वयंसेवक, सामुदायिक समूह और नागरिक समाज – सभी की अलग-अलग भूमिकाएं हैं और वे डिजिटल उपकरणों और नागरिकों की जरूरतों के बीच सेतु का काम करते हैं।

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सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि कानूनी सहायता को मजबूत करना केवल संस्थागत क्षमता का विस्तार करना नहीं है, बल्कि उस मार्ग को सरल बनाना है जिसके माध्यम से संकटग्रस्त व्यक्ति कानूनी सुरक्षा प्राप्त कर सकता है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि हमारा प्रयास ऐसी प्रणालियां तैयार करना है जो गति, स्पष्टता और करुणा के साथ प्रतिक्रिया दें, ताकि न्याय वास्तव में लोगों के लिए वहनीय, समझने योग्य और सुलभ हो, चाहे वे कहीं भी हों। Supreme Court

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