अब आयुर्वेद से होगा देश में कोरोना का इलाज, स्वास्थ्य मंत्री ने जारी किया प्रोटोकॉल

नई दिल्ली (रिपोर्ट- ललित नारायण कांडपाल): कोरोना की वैक्‍सीन आने में अभी भले ही लंबा समय हो लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने आयुर्वेद के जरिए मामूली लक्षण वाले मरीजों के ईलाज की अनुमति दे दी है। मंत्रालय ने लंबे शोध के बाद आए नतीजों के आधार पर ये निर्णय लिया है कि कोरोना के जिन मरीजों में हल्‍के लक्षण हैं उन्‍हें काढ़ा और अश्‍वगंधा जैसी दवाएं देकर उसका ईलाज किया जा सकता है।

कोरोना के ईलाज के लिए अब पूरी तरह से अंग्रेजी दवाओं का इस्‍तेमाल किया जा रहा था लेकिन अब सरकार ने मंगलवार को कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में बदलाव करके आयुर्वेद को भी इसमें शामिल कर दिया है। इसके तहत जिन मरीजों में कोरोना पॉजिटिव होने के बाद हल्‍के लक्षण मौजूद होते हैं उन्‍हें उपचार के लिए काड़ा या अश्‍वगंधा जैसी दवाएं दी जा सकेंगी। इसे जारी करते हुए केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डा हर्षवर्धन ने कहा कि वैसे तो मैं एडवांस एलोपैथ का डाक्‍टर हूं लेकिन मेरा आयुर्वेद में पूरा विश्‍वास है।


स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने बताया कि इन नौ महीने में हुए बहुत से शोध और अध्ययन के साथ वैज्ञानिक प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। दवाइयों के बहुत से लाभ भी सामने आए हैं, लिहाजा अश्वगंधा, काढ़ा, आयुष-64 और गुडूची को प्रोटोकॉल से शामिल किया गया है। इससे मरीजों को फायदा पहुंचेगा। वैज्ञानिक पद्धति से आयुर्वेद की ताकत को वैज्ञानिक और उन्नत तरीकों से दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का लक्ष्य रखा गया था। उम्मीद है कि अगले 6 से 8 महीने में देशवासियों को वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।

कौन से मरीज को दिया जाएगा कौन सा इलाज ?

  • अब आपको बताते हैं कि आखिर किस तरह के मरीज को किस तरह का ईलाज दिया जाएगा। अगर कोई हाई रिस्क पॉपुलेशन, प्राइमरी कांटेक्ट वाला मरीज है तो उसे दवाओं में अश्वगंधा, गुडूची घन वटी और च्यवनप्राश जैसी चीजें दी जा सकती हैं।
  • इसी तरह कोरोना संक्रमित व्‍यक्ति है जिसमें लक्षण नहीं है तो उसे दवाओं से कोशिश करते हुए बीमारी को लक्षण में बदलने का प्रयास किया जाए, गंभीर होने से रोकने और रिकवरी रेट में सुधार के लिए उसे गुडूची घन वटी, गुडूची+पिपली, आयुष-64 दिया जा सकता है।
  • वहीं कोरोना संक्रमित व्‍यक्ति जैसे हल्के लक्षण वाले लोग हों उन्‍हें अगर बुखार, सिर दर्द, थकान, सूखी खांसी, गला दर्द, नाक बंद जैसे लक्षण हैं तो उन्‍हें इलाज में गुडूची+पिपली, आयुष-64 दी जा सकती है।

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बहरहाल अगर आयुर्वेद के अच्‍छे नतीजे निकलकर सामने आए है तो ये सिर्फ इस बीमारी के लिए नहीं बल्कि समूचे आयुर्वेद के लिए बेहद उत्‍साहवर्धन करने वाली खबर है। अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में जब इस दवा का इस्तेमाल एलोपैथ के साथ होता है तो क्‍या कुछ नतीजे देखने को मिलते हैं।

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