जबरन धर्मांतरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से विस्तृत हलफनामा मांगा

(अवैस उस्मानी): जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई धर्मांतरण के लिए दान दे रहा है तो उसकी नीयत पर गौर करने की जरूरत है। चैरिटी और समाज सेवा अच्छी बात है लेकिन इसके पीछे कोई गलत उद्देश्य नही होनी चहिये। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा कि हम पहले भी कह चुके हैं कि यह एक गंभीर मसला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों में लाए गए धर्मांतरण संबंधी कानून के बारे में पूरी जानकारी मुहैया कराने के लिए एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सर्वोच्च अदालत अब इस मामले पर 12 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात सरकार का हलफनामा महत्वपूर्ण है। उन्होंने 2003 में कानून बनाया था। उस पर रोक लगी हुई है। कुछ समय प्रदान करें। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि गुजरात सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है और राज्य सरकार ने सख्त कानून बनाने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर बार जब हम पूछ रहे हैं, आप यही कहते हैं, यह बहुत ही गंभीर मामला है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा लोग कई कारणों से, दवाओं आदि के लिए धर्मांतरण करते हैं। यह एक बहुत ही खतरनाक तरीका है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वैधानिक शासन यह निर्धारित करेगा कि व्यक्ति कुछ भोजन या विश्वास में परिवर्तन के कारण परिवर्तित हो रहा है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मसला है सभी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि हम यहां यह देखने के लिए नहीं हैं कि कौन सही है या गलत, बल्कि चीजों को ठीक करने के लिए हैं। अगर कोई धर्मांतरण के लिए दान दे रहा है तो नीयत पर विचार करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे विरोध के रूप में न लें। बहुत गंभीर मसला है। अंततः यह हमारे संविधान के मूल खिलाफ है। जब हर कोई भारत में है, तो उन्हें भारत की संस्कृति के अनुसार कार्य करना चाहिए।

Read also: PM मोदी ने दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में BJP के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक का किया उद्घाटन

मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि एक संविधान पीठ का फैसला है। वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि मैंने कहा कि कुछ लोग परिवर्तित हो सकते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि देवता उन्हें कुछ प्रदान करेंगे। भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है। पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने कहा था कि सभी को धर्म चुनने का अधिकार है, लेकिन धर्मांतरण से नहीं। केंद्र सरकार ने कहा था कि धर्म का प्रचार करना एक मौलिक अधिकार है, लेकिन किसी का धर्म बदल देना कोई अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा था कि सरकार मामले में जरूरी कदम उठाएगी।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *