(सतनाम सिंहं): 5 विधायकों वाले गांव चौटाला व प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पैतृक गांव चौटाला में ग्राम पंचायत चुनावों में चौंकाने वाले नतीजे आए हैं। राजनीति की नर्सरी कहे जाने वाले और राजस्थान सीमा से सटे प्रदेश के आखिरी गांव चौटाला में कांग्रेस पार्टी से संबंध रखने वाले सुभाष बिश्रोई उर्फ बबलू ने सरपंच पद का चुनाव जीता। उनका मुकाबला इनेलो से संबंध रखने वाले प्रेमचंद गुरिया से था। जेजेपी से संबंध रखने वाले शमशेर सहारण तीसरे स्थान पर रहे। सुभाष उर्फ बबलू को चौटाला गांव के हिटलर परिवार का समर्थन हासिल था।
बता दें कि हिटलर परिवार कांग्रेस से ताल्लुक रखता है। बबलू के साथ कुंवरवीर व युवराज सिहाग ने भी गांव में निकाली गई विजयी यात्रा के तहत ग्रामीणों का आभार व्यक्त किया। अपनी जीत पर बोलते हुए सुभाष चंद्र उर्फ बबलू बिश्रोई ने कहा कि पूरे गांव ने जात-पात से उपर उठकर उन्हें आर्शीवाद दिया है। गांव की समस्याओं का ग्रामीणों के सहयोग से हल करने का प्रयास किया जाएगा।
बता दें कि ताऊ देवीलाल के दादा आशा राम और इनके पिता ओमप्रकाश हिटलर के दादा हुकमा राम दोनों सगे भाई थे। कांग्रेस विधायक के पिता पर विपक्षी उम्मीदवार को वोट डलवाने का आरोप। चौटाला गांव में सरपंच चुनाव के नतीजे आने के साथ ही कांग्रेस के नेताओं की गुटबाजी भी उभर कर सामने आ गई। चौधरी संजय हिटलर के मुताबिक डबवाली से कांग्रेस विधायक अमित सिहाग के पिता डा.के.वी. सिंह ने सरपंच का चुनाव जीतने वाले सुभाष की मदद नहीं की। पूरे चौटाला गांव को पता है कि डा.के.वी. सिंह, उनके भाई और भतीजे ने सुभाष को वोट न डलवाकर विपक्षी उम्मीदवार को वोट डलवाए हैं।
संजय के मुताबिक सुभाष बिश्रोई के पक्ष में गांव वासियों ने जात-पात से उपर उठकर वोट डाले हैं। संजय ने कहा कि उनके गांव का कोई विधायक दिल्ली तो कोई चंडीगढ़ में रहता है। उनके गांव के जो विधायक पावर में है वो कुछ भी कर नहीं पा रहे हैं। उनकी भाजपा के साथ दबी हुई सरकार है। संजय सिहाग ने कहा कि उनके गांव के विधायक राजनीति लोगों के लिए करने की बजाय अपने लिए कर रहे हैं। इन विधायकों के राजा-महाराजाओं की तरह कारोबार है।
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सरपंच सुभाष बिश्नोई ने कहा कि आज गांव वासियों ने कहा था कि गांव में एक विजयी यात्रा निकालनी है। जिसके बाद लोगों का आभार व्यक्त किया गया। गांव वासियों ने जात-पात से उपर उठकर एक अच्छे उम्मीदवार को गांव चौटाला का सरपंच बनाने का काम किया है। गांव चौटाला के मतदाताओं ने पैसों को नकारते हुए उनको सरपंच चुना है। जात-पात का जहर फैलाने वाले और गलत प्रचार करने वाले सभी लोग फैल हुए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव में ग्रामीणों से वायदा किया था कि सरपंच बनते ही सबसे पहला काम गांव से शराब ठेके को बाहर शिफ्ट करने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
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