NEET Exam: तमिलनाडु के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री एम. ए. सुब्रमण्यन ने गुरुवार को आरोप लगाया कि नीट एग्जाम ने गरीब छात्र- छात्राओं के लिए मेडिकल की पढ़ाई को दूर का सपना बना दिया है।सुब्रमण्यन ने कहा कि जब से नीट लागू हुआ है, तब से सिर्फ 31 प्रतिशत स्टूडेंट ही पहली कोशिश में इसे पास कर पाए हैं। उन्होंने सवाल पूछा है कि क्या गरीब घरों के छात्र-छात्राएं कई कोशिशों के लिए नीट की कोचिंग का खर्च उठा सकते हैं?
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उन्होने कहा कि नीट ने गरीब बैकग्राउंड से आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मेडिकल की पढ़ाई को दूर का सपना बना दिया है।सुब्रमण्यन ने ये भी कहा कि 1563 नीट-यूजी स्टूडेंट के लिए दोबारा एग्जाम कराने से ज्यादा कंफ्यूजन पैदा होगा।केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नीट- यूजी 2024 एग्जाम देने वाले 1,563 उम्मीदवारों को एमबीबीएस, बीडीएस और दूसरे कोर्स में एडमिशन के लिए ग्रेस मार्क्स देने का फैसला रद्द कर दिया गया है और उन्हें 23 जून को फिर से एग्जाम देने का विकल्प दिया जाएगा।इस बार नीट एग्जाम के लिए तमिलनाडु से 1,55,216 स्टूडेंट शामिल हुए, जबकि देश भर में 24 लाख से ज्यादा स्टूडेंट ने एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है।
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तमिलनाडु के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री एम. ए. सुब्रमण्यन ने बताया कि जब से नीट लागू हुआ है, सिर्फ 31 प्रतिशत स्टूडेंट ही पहले प्रयास में इसे पास कर पाए हैं, बाकी कई प्रयासों के बाद ही पास हो पाए हैं। क्या गरीब बैकग्राउंड के स्टूडेंट कई प्रयासों के लिए नीट की कोचिंग का खर्च उठा सकते हैं? नीट ने गरीब बैकग्राउंड के स्टूडेंट के लिए मेडिकल की पढ़ाई को दूर का सपना बना दिया है।”
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