JPC: संसद परिसर में आज वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति जेपीसी की पहली बैठक हुई है।बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति को लोकसभा द्वारा विवादास्पद विधेयक की जांच करने का काम सौंपा गया है।आज हुई बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि सदस्यों और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने प्रस्तावित संशोधित बिल को लेकर प्रजेंटेशन दिया है।हालांकि जानकारी के मुताबिक इन अधिकारियों की ओर से दी गयी इस विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों के बारे में बैठक में मौजूद सांसदों ने असंतुष्टि जताई है।वही बैठक की शुरुआत से पहले जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि वे विधेयक पर चर्चा के दौरान अल्पसंख्यक संगठनों के अधिक से अधिक लोगों को ज्यादा से ज्यादा मौका देंगे
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जेपीसी चैयरमेन जगदंबिका पाल ने कहा कि हमारे जेपीसी के सभी सदस्य इस विधेयक पर चर्चा करेंगे। जो भी चिंताएं हैं, हम उन पर जेपीसी में चर्चा करेंगे। हमें न केवल अपने हितधारकों, बल्कि वक्फ संशोधन विधेयक, जिस अधिनियम में हम संशोधन कर रहे हैं, के साथ चर्चा करनी चाहिए, बल्कि हमें राज्य वक्फ बोर्डों के अध्यक्षों, हमारे अल्पसंख्यक समुदायों के संगठनों को भी बुलाना चाहिए, चाहे वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हो, जमीयत उलेमा-ए-हिंद हो या कोई और हो। हम अधिकतम लोगों को अवसर देंगे।
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वक्फ़ संशोधन विधेयक पर जेपीसी बैठक में बिल के मौजूदा स्वरूप को लेकर विपक्षी पार्टियों ने विरोध जताया है। इनमे वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया है।वही असदुद्दीन ओवैसी ने भी विभिन्न आधारों पर वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया हैं।आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने भी वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया है।दरअसल, प्रस्तावित संशोधित कानून में कई बड़े बदलाव किए गए हैं।इसमें वक्फ बोर्ड में मुस्लिम के अलावा अन्य धर्म के लोगों की एंट्री और जमीन के सत्यापन जैसे प्रस्ताव शामिल है।वक्फ कानून के सेक्शन 40 पर सबसे ज्यादा विवाद है।इसके मुताबिक अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति समझता है तो वो उसे नोटिस देकर और फिर जांच करके ये तय कर सकता है कि वो वक्फ का हिस्सा है वह यह भी तय कर सकता है कि ये शिया वक्फ है या फिर सुन्नी।वक्फ बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ सिर्फ ट्रिब्यूनल में जाया जा सकता है।
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