भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित अंतरिम व्यापार समझौता…

Indo-America Trade Deal: भारत और अमेरिका ने 9 जुलाई की टैरिफ राहत समयसीमा से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे दिया है,फिलहाल बातचीत जारी है। जानकारी के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ गहन बातचीत की, जिसके बाद यह सहमति बनी। इस डील की औपचारिक घोषणा 8 जुलाई को होने की संभावना है।इस समझौते के तहत भारत टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, चमड़े, प्लास्टिक, केमिकल, समुद्री उत्पाद, तिलहन, अंगूर और केले जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में अमेरिकी टैरिफ में छूट की मांग कर रहा था। वहीं, अमेरिका ने भारत से कृषि और डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने की बात कही थी।

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जानकारी के मुताबिक भारत ने अपने किसानों और स्थानीय उद्योगों के हितों को प्राथमिकता देते हुए एक संतुलित समझौता सुनिश्चित किया है।विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील भारत-अमेरिका व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जा सकती है। साथ ही, यह समझौता उच्च तकनीक, फार्मा, और रक्षा क्षेत्र में सहयोग की नई संभावनाएं खोलेगा।हालांकि, इस डील की राह आसान नहीं थी। कृषि और डेयरी क्षेत्र में मतभेद प्रमुख चुनौती रहे, लेकिन दोनों पक्षों ने आपसी हितों को ध्यान में रखकर इन मुद्दों को सुलझाया है।

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हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत के साथ ट्रेड डील को “बहुत बड़ा” बताते हुए कहा था कि यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक बाधाओं को कम करेगी।दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के कई देशों पर पारस्परिक यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था। लेकिन इन टैरिफ पर मचे हंगामे के बाद अमेरिका ने भारत पर लगाए गए 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ को नौ जुलाई तक के लिए सस्पेंड कर दिया था हालांकि, 10 फीसदी का बेसलाइन टैरिफ भारत पर ज्यों का त्यों लगा हुआ है भारत इस 26 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ से छूट की कोशिशें कर रहा था।बहरहाल दोनों देशों के बीच यह व्यापार समझौता न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करेगा। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील भारत के लिए अमेरिकी बाजारों में अधिक अवसर पैदा करेगी और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी।

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