अर्थशास्त्री केवी सुब्रमण्यन की किताब खरीद पर यूनियन बैंक में मचा बवाल, कांग्रेस ने की इस मामले में जांच की मांग

कांग्रेस ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा केवी सुब्रमण्यन की लिखी “इंडिया@100” नामक पुस्तक की दो लाख प्रतियां खरीदे जाने की जांच की मांग की है। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म विभाग की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार ने आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में केवी सुब्रमण्यन का कार्यकाल अचानक समाप्त कर दिया, जबकि उनके कार्यकाल में अभी छह महीने बाकी थे।

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केवी सुब्रमण्यन को हटाए जाने का कोई स्पष्ट कारण न बताए जाने का जिक्र करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने खुलासा किया कि सरकारी बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यन द्वारा लिखी गई किताब “इंडिया@100” की लगभग दो लाख प्रतियां ऑर्डर की थीं, जिसकी कुल कीमत 7.25 करोड़ रुपये से अधिक है। बैंक ने इसके लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान भी कर दिया है। इन किताबों का वितरण यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय और आंचलिक कार्यालयों के माध्यम से बैंक के खाताधारकों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में किया जाना था।

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह खरीद सरकार की हर गलत नीति को सही ठहराने और पिछली सरकारों की आर्थिक नीतियों के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए भाजपा कार्यालय से नहीं, बल्कि आम जनता के पैसे से की जा रही है। श्रीनेत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब देश बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा है, तब सरकार, सरकारी बैंक के माध्यम से दो लाख किताबों की प्रतियां खरीद रही थीं।

कांग्रेस नेता ने इस मामले में सार्वजनिक धन की बर्बादी और घोर अनियमितता से जुड़े कई सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सुब्रमण्यन की किताब पर खर्च करने के लिए अपने बोर्ड या वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग से पहले से अनुमति ली थी।क्या मोदी सरकार का वित्त मंत्रालय यह बताएगा कि क्या यह खर्च बैंक का अपने जमाकर्ताओं और इस देश के करदाताओं के प्रति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की जिम्मेदारी के अनुसार है। क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस लेन-देन पर सफाई देंगी, इसका जवाब कौन देगा कि पीएमओ इसमें क्यों और किस हद तक शामिल था। क्या वित्त मंत्रालय ने जांच की है कि सुब्रमण्यन की मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में पिछली भूमिका और सरकार में बैठे प्रमुख लोगों के साथ उनकी निकटता को देखते हुए यह लेनदेन वास्तव में हितों के टकराव का मामला है।

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श्रीनेत ने आगे कहा कि यूनियन बैंक की एमडी और सीईओ मणिमेखलाई ने अपनी एक्सटेंशन के लिए यह खरीद अपरोक्ष रिश्वत के रूप में की है। ऑल इंडिया यूनियन बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन ने भी इस खरीद की जांच की मांग की है। कांग्रेस नेता ने याद दिलाया कि 2023-24 में सभी सरकारी बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस के नाम पर सिर्फ जुर्माने में 2331 करोड़ रुपये आम जनता से वसूले थे, जिसमें से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अकेले 126 करोड़ रुपये झटके थे। ये दिखाता है कि चरणवंदन करने वाले केवी सुब्रमण्यन जैसे लोगों के लिए सरकार का क्या रुख है और आम जनता के लिए सरकार का क्या रुख है।

इस दौरान श्रीनेत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने आईएमएफ से 1.3 अरब डॉलर के का कर्ज मांगा है। कांग्रेस ने 29 अप्रैल को ही कहा था कि हमें उम्मीद है कि भारत की सरकार इसका कड़ा विरोध करेगी। इसके बाद ऐसी खबरें हैं कि भारत ने आईएमएफ से पाकिस्तान के कर्ज और फंडिंग की समीक्षा की मांग की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की यह मांग मानी जाएगी और पाकिस्तान को कर्ज नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के दोषियों को हर हाल में सजा भुगतनी ही होगी, कांग्रेस पूरी तरह सरकार के साथ है।

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