अमन पांडेय : यूक्रेन-रुस युध्द के बीच भारत ने आपदा को अवसर में बदलते हुए लगातार रुसी तेल आयात किया है। पाकिस्तान के पूर प्राधान मंत्री इमरान खान ने भारत की इस विदेश नीति की जमकर तारीफ भी कर चुके हैं। लेकिन कुछ देश ऐसे भी थे जो उस समय से ही भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे थे। अब अमेरिका ने उन तमाम मांगो को सिरे से खारिज कर दिया है। अमेरिका ने कहा कि भारत पर अब किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगने वाला है।
अमेरिका की विदेश विभाग की असिस्टेंट सेक्रेटरी केरेन डोनफ्राईड ने मीडीया से बात करते हुए कहा कि हम भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने वाले है। भारत के साथ हमारे रिश्ते काफी महत्वपूर्ण हैं। हम भारत के उस कदम का भी स्वागत करते हैं। हम भारत के उस कदम का भी स्वागत करते हैं जहां पर उसकी तरफ से यूक्रेन को मानवीय सहायता दी गई। जिस तरह से भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की अपील की थी, उस बयान का भी स्वागत किया जाना चाहिए। अब ये बयान इसलिए मायने रखता है क्योंकि युद्ध के बीच रूसी तेल का आयात एक बड़ा मुद्दा बन गया था।अमेरिका क्योंकि रूस को आर्थिक तौर पर पूरी तरह कमजोर करना चाहता था, ऐसे में उसकी तेल सप्लाई पर चोट करना उसका अहम उदेश्य था।
लेकिन बात जब भारत पर आई, तो प्रतिबंध लगाने से ज्यादा उस रिश्ते को तवज्जो दी गई है जो पिछले कुछ सालों में और मजबूत हुए हैं। अमेरिका ने अपने कुछ नियम बदल सकता है, लेकिन भारत को खुद से अलग नहीं होने दे सकता। वैसे भारत को लेकर तो अमेरिका ने नरमी दिखाई है, लेकिन रूस पर उसका तल्ख रुख बरकरार है. रूस की नीयत पर सवाल उठाते हुए अमेरिका के ऊर्जा संसाधन विभाग में असिस्टेंट सेक्रेटरी जियोफ्रे पयाट ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति ने जिस तरह से तेल और गैस संसाधनों को भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया है, उसके बाद वो विश्वनीय तेल सप्लायर तो नहीं बन सकता है।
Read also:- पीएम मोदी ने की किंग खान की ‘पठान’ मूवी की तारीफ, श्रीनगर में हुए दशकों बाद थिएटर हाउसफुल
वैसे बातचीत के दौरान ये सवाल जरूर उठा कि अभी भी भारत के लिए रूस ही तेल का सबसे बड़ा सप्लायर है। इस पर जियोफ्रे पयाट ने साफ कहा है कि अमेरिका की क्रूड प्रोडक्शन लगातार बढ़ रही है और 2024 तक कई रिकॉर्ड बन जाएंगे। यूएस एनएलजी के सबसे बड़े बाजारों में भारत का नाम भी आता है।