Farming Litchi: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की लीची देश-दुनिया में मशहूर है। इस जिले में लीची की खेती के अलावा, जिले के किसान मुनाफा कमाने के लिए नए तरीकों से लीची के शहद का उत्पादन करने के लिए मधुमक्खी पालन भी कर रहे हैं।किसानों के मुताबिक लीची के पराग से तैयार शहद की काफी मांग है क्योंकि इसे सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है।जिले में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र यानी एनआरसीएल के वैज्ञानिक लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। वे किसानों को पौधे और अन्य तकनीकी जानकारी भी दे रहे हैं।किसानों का कहना है कि कई बड़ी कंपनियों ने लीची शहद खरीदने के लिए उनसे बात की है। इससे उम्मीद है कि उन्हें इस सीजन में अच्छा मुनाफा होगा।
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लीची और शहद के किसान करीमचन्द्र कुमार ने बताया कि मुजफ्फरपुर शाही लीची के लिए प्रसिद्ध है लेकिन लीची के साथ-साथ हम शहद के लिए भी प्रसिद्ध हैं। भारत में मधुमक्खियाँ फूलों से बना शहद इकट्ठा करती हैं। यह भारत में तो प्रसिद्ध है ही, विदेशों में भी इसकी मांग है।डॉक्टर अशोक धाखड़ ने बताया कि फलों को शुष्क या गर्म हवा तथा सूर्य की सीधी किरणों से बचाना होता है ताकि फल गर्मी के कारण न झुलसें। जब कभी फल झुलस जाते हैं तो उनमें दरारें पड़ने लगती हैं और इसे रोकने के लिए नॉन वोवन पॉली प्रोफाइलिंग बैग का इस्तेमाल किया जाता है जो काफी सफल है।”
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वैज्ञानिक (Scientist) अंकित कुमार ने बताया कटाई के बाद में हम लीची के शेल्फ जीवन को बढ़ाने पर शोध कर रहे हैं, विशेष रूप से परिवेश की स्थिति पर बहुत कम शोध है, इसलिए हम परिवेशीय स्थिति में लीची को संरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं और हम लीची के परिवहन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और मदद से आईआईपी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग) के हम कुछ पैकिंग डिजाइन पर भी काम कर रहे हैं।”
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