(प्रदीप कुमार): हाल ही में प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों व मंत्रियों को मिलेट्स लंच कराया था। इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए आज अन्य मंत्रियों एवं विधायकों के साथ मिलेट्स से बने व्यंजनों का जायका लिया। विधानसभा में मिलेट्स से बने विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसे गए, जहां मुख्यमंत्री को रागी से बना हलवा खूब भाया। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत समेत सभी मंत्री मौजूद रहे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर मंत्रालय में जल्द मिलेट कैफे भी खोला जाएगा।
केंद्र सरकार ने 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी मिलेट्स वर्ष 2023 में नई पहल की है। चूंकि छत्तीसगढ़ में मिलेट का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। वहीं, राज्य सरकार ने कोदो कुटकी का समर्थन मूल्य 3000 रुपये क्विंटल घोषित किया है। इसके साथ ही देश का पहला मिलेट बैंक की शुरूआत छत्तीसगढ़ में की गई है। जहां 22 प्रकार के मिलेट का उत्पादन होता है। आज विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री बघेल ने विधायकों व मंत्रियों को मिलेट्स का लंच कराया। जहां सभी ने रागी के पकोड़े, कोदो के भजिये, कुटकी के फरे व रागी के हलवे का स्वाद लिया।
कुपोषण दूर करने मिड डे मील में शामिल मिलेट्स
छत्तीसगढ़ में मिलेट्स को मिड डे मील में भी शामिल किया गया है जिससे कुपोषण को पूरी तरह समाप्त किया जा सके । स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील में मिलेट्स से बने व्यंजन दिये जा रहे हैं जिनमें मिलेट्स से बनी कुकीज,लड्डू और सोया चिक्की शामिल हैं ।
छत्तीसगढ़ देश का सबसे पहला समर्थन मूल्य पर खरीदी वाला राज्य
छत्तीसगढ़ देश में पहला ऐसा राज्य है जो समर्थन मूल्य पर मिलेट्स की खरीदी कर रहा है। राज्य के 14 जिलों में संचालित इस मिशन के अंतर्गत कोदो-कुटकी-रागी का समर्थन मूल्य तय करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ लघु वनोपज सहकारी संघ के अंतर्गत महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से संग्रहण की व्यवस्था भी की गई। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में इन फसलों को शामिल करके किसानों को इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है।
Read also:- दिल्ली में एसवाईएल निर्माण मुद्दे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक
उत्पादकता में बढ़ोतरी के लिए किसानों को विशेषज्ञों से परमार्श भी दिलाया जा रहा है। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद (आईआईएमआर) और 14 जिला कलेक्टरों के बीच एमओयू किया गया है। आआईएमआर ने कोदो, कुटकी, रागी के अच्छी क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराने के साथ-साथ सीड बैंक की स्थापना में मदद करने की भी जिम्मेदारी ली है। साथ ही वह किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहा है।