(प्रियांशी श्रीवास्तव): आज विश्व शौचालय दिवस है जिसका संबध सफाई से है। शौचालय न सिर्फ हमारे जीवन को बचाने का काम करते हैं बल्कि कई तरह की बीमारियों के प्रसार को भी रोकने में मदद करते हैं। खुले में शौच कई बीमारियों को न्योता देता है, इसलिए विश्व शौचालय दिवस वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने के लिए प्रेरित करने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है।
पिछले कुछ सालों से विश्वभर में स्वच्छता पर काफी जोर दिया जा रहा है। आपको बता दे कि डब्लू एचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा में लगभग 360 करोड़ लोग आज भी वंचित है । भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार , गांवो में 67 प्रतिशत और शहरों में 13 प्रतिशत परिवार खुले में शौच करते है । देश के 40 प्रतिशत घरों में शौचालय होने के बावजूद प्रत्येक घर से एक सदस्य नियमित रूप से खुले में शौच के लिए जाता है। लोगों की इसी सोच को बदलने और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष 19 नवंबर को ‘वर्ल्ड टॉयलेट डे’ यानी ‘विश्व शौचालय दिवस’ मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इस दिन के महत्व और इतिहास के बारे में।
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अब आपके बता दें कि भारत में साल 2014 को स्वच्छ मिशन शुरू किया गया। 2 अक्टूबर को यानि गांधी जंयती के दिन पीएम मोदी ने शुरूआत की थी । स्वच्छ भारत मिशन को दो भागो में बाटा गया था । पहला स्वच्ठ भारत ग्रामीण जिसके तहत गांवो में हर घर में शोचालय बनाए गए । वहीं दूसरा था स्वच्छ भारत: शहरी। इस मिशन का मक़सद था यह सुनिश्चित करना कि घरों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर भी शौचालय हों। साथ ही फोकस कूड़ा-कचरा प्रबंधन पर भी है।
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