सावन का महीना अपने अंतिम चरण में पहुंचने वाला है। ऐसे में जो लोग सावन सोमवार का व्रत रखते हैं, उनके लिए व्रत का उद्यापन करना बहुत आवश्यक है।
किसी भी व्रत का समय पूरा होने के बाद प्रभु स्मरण के साथ जो अंतिम पूजा की जाती है, वहीं, उस व्रत का उद्यापन कहलाता है। व्रत पूर्ण होने के बाद उद्यापन करना बहुत जरुरी होता है।
अन्यथा उस व्रत का फल और उस व्रत का प्रभाव हमें नहीं मिल पाता। तो आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत के उद्यापन विधि के बारे में।
सबसे पहले आज के दिन आप डेली कार्यों से निवृत्त हों। स्वच्छ और धुले हुए कपड़े पहनकर भगवान गणपति की आराधना करें और गणपति मंत्र के साथ भगवान गणपति का आवाहन करें।
इसके बाद होम या हवन करें और हो सके तो आप इस हवन में काले तिल का प्रयोग करें। इसके साथ महामृत्युंजय मंत्र की कम से कम एक माला जप करें। तथा पूजा के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को वस्त्र या दक्षिणा का दान दें।
उद्यापन के दिन, स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करना उचित माना जाता है और इन्हीं वस्त्रों में भगवान की पूजा करनी चाहिए।
पूजा के लिए चौकी या बेदी तैयार करें और उसे केले के पत्तों और सुन्दर फूलों से सजाएं। स्वयं या पुरोहित अथवा किसी विद्वान आचार्य द्वारा इस चौकी पर भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती और भगवान गणपति, नन्दी व चंद्रदेव की प्रतिमा
स्थापित करें और फिर गंगाजल से स्नान कराने के बाद चंदन, रोली और अक्षत का टीका लगा दें। भगवान को फूल माला अर्पित करें और उन्हें पंचामृत का भोग लगाएं।