UNGA: संयुक्त राष्ट्र महासभा में राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा बयान, मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष खत्म कराया

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UNGA: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के लिए इकट्ठा हुए दुनिया के तमाम नेताओं के सामने संयुक्त राष्ट्र के मंच से अपने दावे को दोहराते हुए एक बार फिर कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को रोकने में अहम भूमिका निभाई।अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में संयुक्त राष्ट्र के मंच से विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, “इसी तरह सिर्फ़ सात महीनों में मैंने सात युद्धों को खत्म किया है। उन्होंने कहा था कि वे अकल्पनीय हैं… कुछ 31 साल से चल रहे थे। उनमें से दो, 31 और 31 सालों से चल रहे थे। एक 36 साल का था, एक 28 साल का था।” UNGA: 

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ट्रंप ने आगे कहा, “मैंने सात युद्ध खत्म किए और सभी मामलों में वे भयंकर थे, जिनमें अनगिनत हज़ारों लोग मारे गए थे। इसमें कंबोडिया और थाईलैंड, कोसोवो और सर्बिया, कांगो और रवांडा, पाकिस्तान और भारत, इज़राइल और ईरान, मिस्र और इथियोपिया, और आर्मेनिया और अज़रबैजान के क्रूर और भयावह युद्ध शामिल हैं।”10 मई को जब ट्रंप ने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि वाशिंगटन की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान “पूर्ण और तत्काल” युद्धविराम पर राजी हुए हैं। तब से उन्होंने लगभग 50 बार ये दावा दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को खत्म करने में मदद की है।वहीं भारत ने लगातार किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से इनकार किया है।UNGAUNGA: 

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डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति: इसी तरह सिर्फ सात महीनों में मैंने सात युद्धों को ख़त्म किया है। उन्होंने कहा था कि ये अंतहीन हैं। आप इन्हें कभी नहीं सुलझा पाएंगे। मैंने सात युद्ध समाप्त किए और सभी मामलों में वे भयंकर थे और अनगिनत हज़ारों लोग मारे गए। इसमें कंबोडिया और थाईलैंड, कोसोवो और सर्बिया, कांगो और रवांडा, एक क्रूर, हिंसक युद्ध, पाकिस्तान और भारत, इज़राइल और ईरान, मिस्र और इथियोपिया, और आर्मेनिया और अज़रबैजान शामिल हैं। इसमें ये सभी शामिल थे।UNGA

किसी भी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ने और यहां तक कि किसी भी देश ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।और मैंने ये सिर्फ़ सात महीनों में कर दिखाया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।ऐसा करके मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। ये बहुत बुरा है कि ये काम संयुक्त राष्ट्र के बजाय मुझे करने पड़े। और दुख की बात है कि इन सभी मामलों में संयुक्त राष्ट्र ने इनमें से किसी में भी मदद करने की कोशिश नहीं की। मैंने सात युद्ध खत्म किए, इन सभी देशों के नेताओं से बात की और मुझे संयुक्त राष्ट्र से एक भी फोन कॉल नहीं आया, जिसमें समझौते को अंतिम रूप देने में मदद की पेशकश की गई हो। संयुक्त राष्ट्र से मुझे बस एक एस्केलेटर मिला, जो ऊपर जाते समय बीच में ही रुक गया। अगर प्रथम महिला की हालत ठीक नहीं होती, तो वे गिर जातीं। लेकिन वो बहुत अच्छी हालत में है। हम दोनों अच्छी हालत में हैं। हम दोनों खड़े थे।UNGA

और फिर एक टेलीप्रॉम्प्टर काम नहीं कर रहा था। ये दो चीज़ें हैं, जो मुझे संयुक्त राष्ट्र से मिलीं, एक खराब एस्केलेटर और एक खराब टेलीप्रॉम्प्टर। बहुत-बहुत शुक्रिया। और वैसे अब ये काम कर रहा है। ये बस चलता रहे। शुक्रिया। मुझे लगता है मुझे इसे दूसरे तरीके से करना चाहिए। ये आसान है। बहुत-बहुत शुक्रिया। उस समय मैंने इसके बारे में नहीं सोचा था क्योंकि मैं लाखों लोगों की जान बचाने के काम में बहुत व्यस्त था। यही इन युद्धों को बचाना और रोकना है। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि संयुक्त राष्ट्र हमारे लिए मौजूद नहीं था। वे मौजूद नहीं थे। मैंने वास्तव में इसके बारे में घटना के बाद सोचा, उसके दौरान नहीं। इन वार्ताओं के दौरान नहीं, जो आसान नहीं थीं। ऐसे में, संयुक्त राष्ट्र का मकसद क्या है? संयुक्त राष्ट्र में अपार क्षमताएँ हैं। मैंने हमेशा कहा है। इसमें अपार क्षमताएँ हैं, लेकिन ज़्यादातर मामलों में ये उस क्षमता के आस-पास भी नहीं पहुंच पा रहा है।कम से कम अभी तो ऐसा लगता है कि वे बस एक बहुत ही कड़े शब्दों वाला पत्र लिखते हैं और फिर उस पत्र पर कभी अमल नहीं करते। ये खोखले शब्दों से भरा हैं और खोखले शब्दों से युद्ध का समाधान नहीं होता। युद्ध और युद्धों का समाधान सिर्फ़ कार्रवाई से ही होता है।“UNGA

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