Uttarakhand: उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र के चारधामों के रूप में मशहूर मंदिरों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट परंपरा के मुताबिक गुरुवार सुबह भाई दूज के मौके पर औपचारिक रूप से बंद कर दिए गए।वैदिक मंत्रोच्चार और विधिवत पूजा के बीच मंदिर के गर्भगृह को सुबह छह बजे बंद कर दिया गया।बाबा केदार की मूर्ति को अगले छह महीने के लिए शीतकालीन प्रवास के लिए उखीमठ रवाना किए जाने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। ये मूर्ति ओंकारेश्वर मंदिर में रहेगी।Uttarakhand:
Read Also- Bihar: महागठबंधन के CM फेस होंगे तेजस्वी यादव, अशोक गहलोत ने किया ऐलान
उत्तराखंड में लगातार बारिश से आई आपदाओं की वजह से इस बार चारधाम यात्रा बार-बार बाधित हुई।हालांकि तीर्थयात्रा जब फिर शुरू हुई तो केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम में दर्शन के लिए रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु उमड़े।यमुनोत्री धाम के कपाट भी गुरुवार को बंद हो गए, जबकि गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार को बंद कर दिए गए। बद्रीनाथ चार धामों में से आखिरी धाम है जिसके कपाट 25 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।Uttarakhand:
Read Also- PM मोदी मलेशिया में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से लेंगे हिस्सा
केदारनाथ चार धाम मंदिरों में शामिल है और ये 11वां ज्योतिर्लिंग भी है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।तीर्थयात्री बाबा केदार को विदाई देने की तैयारी कर रहे हैं। कई लोग अगले साल फिर से उनके दर्शन के लिए आने की इच्छा जता रहे हैं।मंदिर के कर्मचारी और इलाके के लोग भी कपाट बंद होने के बाद रवाना होंगे। इसके लिए उन्होंने तैयारियां शुरु कर दी हैं। हालांकि वे तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनके घरों की ओर भेज रहे हैं।Uttarakhand:
वहीं गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार सुबह अभिजीत मुहूर्त में बंद कर दिए गए। ये शुभ अन्नकूट उत्सव के साथ मेल खाता है।अभिजीत मुहूर्त को अत्यंत शुभ समय माना जाता है और इस दौरान मंदिर के कपाट बंद करने या खोलने जैसे अनुष्ठान करने से दिव्य आशीर्वाद मिलता है।यमुनोत्री धाम के कपाट गुरुवार को भाई दूज के मौके पर बंद होंगे। बद्रीनाथ धाम इस साल शीतकाल के लिए बंद होने वाला अंतिम चार धाम मंदिर होगा।Uttarakhand: