Uttarkhand: केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार यानी की आज 2 मई की सुबह सात बजे श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल गए। इस अवसर पर देश-विदेश से लाए गए 108 क्विंटल फूलों से हिमालय के इस मंदिर को सजाया गया है। केदारनाथ बाबा के पहले दर्शन के लिए सुबह से ही कतार में खड़े श्रद्धालु काफी उत्साहित नजर आए। पूर्व दिशा का द्वार खोला गया, जिससे गर्भगृह में प्रवेश किया गया। फिर पूजा की गई और फिर श्रद्धालुओं के लिए दूसरा द्वार भी खोल दिया गया।
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इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। शिवलोक कहे जाने वाले केदारनाथ धाम से बड़ा धरती पर कोई उचित स्थान नहीं है. माना गया है कि भगवान शिव वहां स्वयं विराजते हैं। ऐसे में 6 महीने बाद बाबा के कपाट खुलते ही दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी और अब ग्रीष्मकाल के छह महीने तक यहीं बाबा केदार की नित्य पूजा अर्चना संपन्न होगी। इस मौके पर मंदिर को इतना सुंदर सजाया गया है कि कोई भी मंतमुग्ध हो जाए… मंदिर को 54 किस्म के 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। इसमें नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे विभिन्न देशों से लाए गए गुलाब और गेंदा के फूल शामिल हैं।
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बता दें, पिछले साल की तुलना में इस बार व्यवस्थाएं अच्छी हैं। श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए समय दिया जा रहा है। मंदिर को सजाने के लिए 150 से अधिक स्वयंसेवकों ने दिन-रात काम किया है। पुराना शिव मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 11,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर को सजाने के लिए गुलाब और गेंदा सहित 54 प्रकार के फूलों का इस्तेमाल किया गया है। इन्हें नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका के अलावा दिल्ली, कश्मीर, पुणे, कोलकाता और पटना सहित पूरे भारत से लाया गया है। गुजरात के वडोदरा से श्रीजल व्यास जो मंदिर को सजाने में लगे स्वयंसेवकों का नेतृत्व कर रहे हैं। उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में सर्दियों के दौरान पूजी जाने वाली भगवान शिव की मूर्ति गुरुवार को पुजारियों और बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पदाधिकारियों के कंधों पर फूलों से सजी पालकी में गौरीकुंड के रास्ते पहुंची।