पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में हुई हिंसा, सियासी दलों में आरोप-प्रत्यारोप जारी

Murshidabad Violence:

Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ बिल के प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के बाद राजनीतिक वार-पलटवार जारी है।पुलिस ने अब तक 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 17 कंपनियाँ सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स और 9 कंपनियाँ बीएसएफ तैनात की गई हैं। ज़िले में इंटरनेट सेवाएँ निलंबित हैं, और धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है। डर के माहौल में सैकड़ों लोग, खासकर महिलाएँ और बच्चे, गंगा नदी पार करके मालदा के स्कूलों में शरण ले रहे हैं।

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इस हिंसा ने राजनीतिक दलों को एक-दूसरे पर हमला करने का मौका दे दिया है। बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे हिंदुओं के खिलाफ हिंसा” करार दिया। बीजेपी नेता सुवेन्दु अधिकारी ने दावा किया कि 400 से ज़्यादा हिंदू परिवार धूलियान से मालदा भागने को मजबूर हुए। पार्टी ने मालदा में प्रभावित लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए हैं।वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “मुर्शिदाबाद में हिंदुओं को उनके घरों से खींचकर मारा गया। कांग्रेस, सपा, और टीएमसी इस पर चुप हैं, जो उनकी संलिप्तता दर्शाता है।

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दूसरी ओर, टीएमसी ने बीजेपी पर सांप्रदायिक माहौल भड़काने का आरोप लगाया। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि हिंसा के पीछे “केंद्र की कुछ एजेंसियों, बीएसएफ के एक वर्ग, और कुछ राजनीतिक दलों की साज़िश है। टीएमसी प्रवक्ता ने बीजेपी सांसद की AFSPA लागू करने की माँग को “असंवैधानिक” बताया।टीएमसी विधायक मदन मित्रा ने गृह मंत्री अमित शाह, पीएम मोदी, और योगी आदित्यनाथ को हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “मैं बंगाल सरकार का प्रवक्ता नहीं हूँ, लेकिन हिंसा की जाँच होनी चाहिए।”वहीं, मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने गृह मंत्री से सवाल किया कि इस हिंसा का ज़िम्मेदार कौन है।मुर्शिदाबाद के प्रभावित इलाकों में अब तनावपूर्ण शांति है। सड़कें सूनी हैं, दुकानें बंद हैं, और लोग डर के साये में जी रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि हिंसा में शामिल कई लोग बाहरी थे, और अफवाहों ने माहौल को और बिगाड़ा। कुछ का आरोप है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे संगठनों का प्रभाव भी इस हिंसा में हो सकता है।मुर्शिदाबाद की इस हिंसा ने एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण की गहरी खाई को उजागर किया है। सवाल यह है कि क्या जिम्मेदार लोग सजा पाएँगे, और क्या प्रभावित परिवारों को न्याय मिल पायेगा?

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