Wayanad Landslide: केरल में अब तक की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा के एक साल बाद भी मुंडक्कई और चूरलमाला वीरान पड़े हैं। यहां बस कुछ ही मकान सलामत रह गए हैं।हादसे में हुई भयानक तबाही और अपने को खोने का दर्द भुलाना नामुमकिन सा है। ये जख्म ऐसा है जिसका अहसास बार-बार होता रहेगा। हालांकि इस त्रासदी के बीच मुंडक्कई और चूरलमाला में बुलंद हौसले और फिर उठ खड़े होने की कहानियां भी कम नहीं हैं। 30 जुलाई, 2024 की रात को नोफल ने अपने परिवार के 11 लोगोें को खो दिया था।Wayanad Landslide
Read also-Jammu and Kashmir: जम्मू में एक ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ गिरफ्तार, तीन पिस्तौल बरामद
जब भयानक हादसा हुआ तो नोफल विदेश में काम कर रहे थे। भूस्खलन से हुई तबाही में उन्होंने अपना परिवार, घर और मुंडक्कई में अपनी जमीन सब कुछ गंवा दिया। सब कुछ खो देने के बाद नोफल ने नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत की। दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से उन्होंने मेप्पडी में एक बेकरी खोली, जिसका नाम उन्होंने ’30 जुलाई’ रखा है।नोफल की कहानी दर्द और मुश्किल हालातों का सामना करते हुए जिंदगी में हार न मानने और आगे बढ़ने के लिए फिर उठ खड़े होने की मिसाल है।Wayanad Landslide
Read also- अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ किया रुख बोले- भारत के साथ व्यापार समझौता अभी अंतिम रूप…
वे अपने परिवार के लोगों के खोने का गम और उनसे जुड़ी यादों को साफ लेकर जिंदगी के सफर में आगे बढ़ रहे हैं।अगर आप कभी केरल के मेप्पडी जाएं तो 30 जुलाई बेकरी जाना न भूले। वहां थोड़ी देर थमें, नोफल के साथ एक प्याला चाय पियें और उनकी इस बेकरी को चलाने में अपनी तरफ से छोटी से मदद जरूर करें।Wayanad Landslide