Wayanad, Landslide: केरल के वायनाड की पहाड़ियों में जमीन का एक छोटा टुकड़ा 30 जुलाई 2024 को आई राज्य की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक का बोझ उठाए हुए है। ये पुथुमाला का सार्वजनिक कब्रिस्तान है। इसे अब हृदय भूमि यानी हृदयों की भूमि के नाम से जाना जाएगा। ये नाम उन लोगों के सम्मान में दिया गया है जिन्होंने 2024 में मुंडक्कई- चूरलमाला भूस्खलन हादसे में अपनी जान गंवाई थी। Wayanad Landslide:
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हृदय भूमि में 264 कब्रें हैं। ये देश के उन गिने-चुने स्थानों में से एक है जो हर मजहब से ऊपर है। यहां दफन लोगों की पहचान हिंदू, मुस्लिम या ईसाई के तौर पर नहीं बल्कि भीषण त्रासदी में जान गंवाने वाले एक इंसान के तौर पर की जाती है। इस आपदा में अपने परिवार के 26 सदस्यों को खोने वाले मनोज ने बताया कि जिस वक्त ये प्राकृतिक आपदा आई वो अपने घर से दूर थे। उन्होंने कहा, ये एक ऐसा दिन है जिसे हम कभी याद नहीं करना चाहते, लेकिन इसकी यादें हमारे जेहन में ताजा हैं… हम एक-दूसरे की तरफ देख भी नहीं पा रहे हैं, अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहे हैं। Wayanad Landslide:
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जिंदा बचे एक और शख्स प्रशांतन ने बताया कि आपदा में उनका परिवार बाल-बाल बच गया, लेकिन उनके भाई और उनके भाई का परिवार बह गया। अलग-अलग समुदायों के शवों को एक-दूसरे के बगल में दफनाया गया है। हर कब्र पर संख्या चिह्न बना हुआ है। डीएनए परीक्षण से 130 पीड़ितों की पहचान करने में मदद मिली।
हालांकि परिवारों को शवों को व्यक्तिगत धार्मिक अनुष्ठानों के लिए ले जाने और कहीं और दफनाने का विकल्प दिया गया था, लेकिन कई लोगों ने ये कहते हुए मना कर दिया, जो लोग साथ रहते थे, उन्हें साथ ही दफनाने दो। मेप्पाडी में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई, जिसमें राजनीतिक नेताओं और कई प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया। सुबह सर्वधर्म प्रार्थना सभा भी आयोजित की गई। Wayanad Landslide: