क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर? जो बन सकता है आत्महत्या का कारण

ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री को गोली मारने वाले ASI को बाइपोलर डिसॉर्डर होने की बात जांच में सामने आयी है। लेकिन बहुत कम लोग ही इस डिसऑर्डर के बारे में जानते हैं। ये जिनको होती उसे भी इसके बारे में देर से पता चलता है। बाइपोलर डिसऑर्डर सिर्फ एक बहुत ही गंभीर समस्या है। इसमें कभी कभी व्यक्ति इतना ज्यादा अग्रेसिव हो जाता है की उसे शांत करना मुश्किल होता वहीं कभी वो रोने लगता लगता है और बहुत शांत हो जाता है। अगर बाइपोलर डिसॉर्डर हमारे आस-पास भी देखने को मिल जाती है, जिससे बहुत बार इग्नोर कर दिया जाता है। वहीं इस डिसऑर्डर से भारतीय सेलिब्रिटीज भी अछूते नहीं है। चाहे वो सुशांत सिंह राजपूत हो या हनी सिंह। जिसका असर उनके कैरियर पर भी पड़ा। अगर आपके आस पास भी किसी को बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण दिखे तो हमेशा कुछ बातों का ध्यान रखे। यहां हम आपको इससे जुड़ी कुछ जानकारियां साझा करेंगे जिससे पढ़ कर इसके लक्षण और समाधान के बारे काफी हद तक पता चल सकता है। और समय पर मनोचिकित्सक से मिल कर इसका इलाज करा सकते है।        Bipolar disorder symptoms,

बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। जिसके 2 फेज होते है।

मेनिक फेज– इस डिसऑर्डर का पहला फेज मेनिक फेज होता है। जिसके अनुसार मरीज का व्यवहार बदलते रहता है। जिसमें मरीज एक्सट्रीम विहेव करता है। जैसे की वो जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च करता या फिर जरूरत से ज्यादा सिगरेट या शराब पीना या फिर बिना प्रोटेक्शन सेक्स करना या रैश ड्राइविंग करना। मतलब कोई भी चीज जो उसे नुकसान पहुंचा सके वो जरूरत से ज्यादा करता है। सब मिलकर व्यक्ति का व्यवहार काफी ज्यादा रिस्की और डिस्ट्रक्टिव हो जाता है।

डिप्रेसिव फेज– दूसरा फेज डिप्रेसिव फेज होता है। जिसमें व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। और किसी भी काम में मन नहीं लगता है। यहां तक की वो पसंद की चीजें भी करना बंद कर देता है। वहीं इस डिसऑर्डर में हर मरीज सायकोसिस फील नहीं करता है इसलिए बाइपोलर डिसऑर्डर कहा जाता है। इसमें व्यक्ति का व्यवहार हमेशा बदलता रहता है कभी वो मैनिक फेज तो कभी डिप्रेसिव फेज अनुभव करता है। इस डिसऑर्डर का एक दूसरा नाम भी है जिसे मेनिक-डिप्रेसिव साइकोसिस कहा जाता है।

लक्षण

अगर आपके आस पास या अपनों में दिखे ये लक्षण तो हो सकता है बाइपोलर डिसऑर्डर

  • बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स होना।
  • छोटी छोटी बातों पर जल्दी गुस्सा हो जाना।
  • चीजों को याद रखने और ध्यान लगाने में दिक्क्त का महसूस होना।
  • शरीर में हमेशा एनर्जी महसूस करना।
  • दैनिक कार्यों में मन न लगना।
  • खुद पर भरोसा न होना।
  • हमेशा मन में नकारात्मकता का ख्याल आना।
  • बिना वजह खुद को आत्मग्लानि से भर लेना।

 

बाइपोलर डिसऑर्डर होने के पीछे की वजह

  • बचपन में कुछ ऐसी घटना हुई हो जिसका असर बहुत गहरा हो।
  • कुछ ऐसी पारिवारिक समस्या या विवाद जो लस्बे समय तक चला हो।
  • डायवोर्स, ब्रेकअप, या किसी की मौत जिससे गहरा आघात लगा हो।
  • नशीली चीजों का अत्यधिक सेवन।
  • यह डिसॉडर जेनेटिक भी हो सकता है जैसे भी आपके किसी रिलेटिव को बाइपोलर डिसऑर्डर हुआ हो तो इसके होने की सम्भवना 10 परसेंट बढ़ जाती है।

 

कोई भी मानसिक बीमारी या डिसऑर्डर बहुत गंभीर तब हो जाती है जब इससे किसी व्यक्ति के मन में आत्महत्या जैसे विचार उत्पन्न होने लगते है। और ऐसी विचार अक्सर स्किजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर की गंभीर अवस्था मानी जाती है। इसलिए इस बीमारी को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

बीमारी का इलाज

इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। जिससे पेशेंट को काफी हद तक राहत महसूस होता है। बशर्ते इसका सही समय पर पहचान हो सके। मगर फिर भी इसे पूरी तरह ठीक नहीं किया सकता है। जैसे की अगर हम आसान शब्दों में बात करे तो जैसे मोटापा, थायराईड, शुगर जैसी बीमारियां है की जब तक इनपर कण्ट्रोल किया जाये तब तक बीमारी भी कण्ट्रोल में रहता है ठीक उसी तरह यह मानसिक बीमारी भी है। इसपर नियंत्रण पाया जा सकता है पर इसे पूरी तरह ख़त्म नहीं किया सकता।

बाइपोलर डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट में होने वाली कुछ महत्वपूर्ण चीजे

  • इस बीमारी के पेशेंट को स्टेबल करने के लिए दिमाग को स्थिर रखने के लिए दवाइयां दी जाती है।
  • सायकायट्रिस्ट के साथ कई सेशन होते है जिसमे वो इस बीमारी के पीछे की ट्रामा और ट्रिगर को पता करने की कोशिश करते हैं। और उससे पेशेंट को डील करने की सलाह देते हैं।
  • वहीं इसमें डॉक्टर अक्सर लाइफस्टाइल को ठीक करने को सलाह देते हैं। जैसे की समय पर सोना, जगना, और एक्सरसाइज करना और खांट पान को बेहतर बनाना।

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बता दें की बाइपोलर डिसऑर्डर में पेशेंट इतना ज्यादा उदास हो जाता है की उसका वास्तविकता से सम्बन्ध टूट जाता है और वो अवसाद की चला जाता है यहां तक की वो आत्महत्या जैसे कदम भी उठाने से पीछे नहीं हटता है। उसके सोचने समझने की शक्ति भी खत्म हो जाती है। इस बीमारी के शिकार कुछ भारतीय सेलिब्रिटीज भी चुके है। जैसे की हनी सिंह इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं। हनी सिंह जब कैरियर की पिक पर थे तभी वो इस बीमारी से पीड़ित हो गए थे। जिसका असर उनके कैरियर पर भी देखने को मिला था। इस बीमारी से हनी सिंह, परवीन बॉबी, पायल रोहतगी, सुशांत सिंह राजपूत जैसे कलाकार हो चुके हैं।

वहीं इस बीमारी को बहुत सारे फिल्मों में दिखाया गया और इस स्थिति को बेहतर तरीके से समझाया गया है। जैसे की हेरोईन फिल्म में करीना कपूर के किरदार को इस बीमारी से पीड़ित दिखाया गया है। वहीं और भू कुछ फिल्मे हैं। जिसमें इस बीमारी को दिखाया गया है। जैसे की होमलैंड, अपरिचित।

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