नई दिल्ली:सरल भाषा में कहें तो, जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है, की कोई वायरस किस तरह का है और कैसा दिखता है, इन सभी चीजों की जानकारी हमें जीनोम के जरिए मिलती है, इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है और वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं, इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है।
READ ALSOलकड़ियों के कारोबारी पर सीएम फ्लाइंग का छापा, दर्जनों हरे पेड़ों का जखीरा किया बरामद
प्रदेश में इस वक्त जीनोम सीक्वेंसिंग के 10 ही लैब है, जहां से इसके बारे में पता लगाया जाता है, इनमें- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली), CSIR-आर्कियोलॉजी फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), DBT – इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (भुवनेश्वर), DBT-इन स्टेम-एनसीबीएस (बेंगलुरु), DBT – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG), (कल्याणी, पश्चिम बंगाल), ICMR- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) के लैब शामिल हैं।
Top Hindi News, Latest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi Facebook, Delhi twitter and Also Haryana Facebook, Haryana Twitter.

