CAG: भारत में CAG का कार्यभार 21 नवंबर से के. संजय मूर्ति संभालेंगे। इससे पहले इस पद गिरीश चंद्र मुर्म काबिज थे। जी. सी. मूर्म ने यह पदभार अगस्त 2020 में संभाला था। 20 नवंबर को इनका कार्यभार का समय समाप्त हो जाएगा जिसके बाद यह जिम्मेदारी संजय मूर्ति के हाथ में होगी।
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Comptroller & Auditor General of India-CAG भारतीय संविधान में एक अहम अधिकारी है। जिसके हाथ में वित्तीय लेखा-जोखा होता है। यह वह व्यक्ति होता है जो देखता है कि संसद द्वारा सीमा से अधिक खर्च ना होना पाए। इसके साथ ही यह भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख और सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख संरक्षक है इसी वजह से यह जिम्मेदार काफी सोच-समझ कर दी जाती है।
क्या है CAG का इतिहास ?
महालेखाकार का कार्यालय सबसे पहले वर्ष 1858 में स्थापित हुआ था, ठीक उसी वर्ष जब अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथों में लिया था। कार्यालय स्थापित होने के 2 साल बाद वर्ष 1860 में सर एडवर्ड ड्रमंड को पहले ऑडिटर जनरल के तौर पर नियुक्त किया गया था। कुछ समय बाद इसे भारत सरकार के महालेखापरीक्षक, लेखा परीक्षक और महालेखाकार कहा जाने लगा। इसके बाद साल 1866 में इस पद का नाम बदलकर नियंत्रक महालेखा परीक्षक के तौर पर जाना जाने लगा। इसके बाद साल 1884 में भारत के नियंत्रक और महालेखा के रूप में इसे फिर से नामित किया गया।
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केंद्र सरकार ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अधिनियम, 1971 लागू किया गया। जिसमें CAG के कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तों के बारे में बताया गया। इस अधिनियम के तहत CAG को केंद्र और राज्य सरकारों के लिए लेखांकन और लेखा परीक्षा दोनों की जिम्मेदारी दी गई। वर्ष 1976 में CAG को लेखांकन के कार्यों से मुक्त कर दिया गया।
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