World Tsunami Awareness Day: प्राकृतिक प्रलय चाहे किसी भी रूप में आए तबाही मचा कर ही जाती है। चाहे भूकंप हो, भूस्खलन हो या फिर सुनामी ही क्यों ना हो। इन प्रलयों के चलते ना जाने अब तक विश्व को या किसी देश को कितना भारी नुकसान उठाना पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, 100 वर्षों में लगभग 58 बार सुनामी आ चुकी है जिससे तकरीबन 2 लाख से ज्यादा लोगों की जानें गईं हैं। 05 नवंबर को विश्व स्तर पर हर साल विश्व सुनामी जागरूकता दिवस (World Tsunami Awareness Day) मनाया जाता है।
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क्यों मनाया जाता है विश्व सुनामी दिवस ?
दिसंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सुनामी (Tsunami) जोखिमों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन को मनाने की घोषणा की गई थी। साथ ही विश्व स्तर पर समझ और इससे बचने और होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कदम उठाया जाए यह इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है। इस दिन को 5 नवंबर को मनाने के लिए एक ऐतिहासिक प्रासंगिक कहानी है। जिसका नाम है ‘इनामुरा-नो-ही’ सामान्य शब्दों में इसे ‘चावल के ढेरों को जलाना’ भी कहा जाता है।
कहानी के अनुसार, 1854 में जापान के एक गांव में भूकंप के बाद गांव के नेता को सुनामी (Tsunami)का अंदेशा होने लगा। उन्होंने गांव के लोगों को सुरक्षित जगह पर जाने को कहा लेकिन उनकी बात को लोगों ने उनका वहम समझकर अनदेखा कर दिया। गांव के नेता ने अपने दिमाग में एक तरकीब निकाली और अपने चावल के ढेर को गांव के बीच इकट्ठा करके उसमें आग लगा दी। आग लगने के कारण गांव में भगदड़ मच गई। जिसके बाद लोगों ने सुरक्षित जगहों पर जाना शुरू कर दिया। सभी लोग उस नेता को बुरा-भला कहने लगे। कुछ समय बाद गांव के पास वाले समुद्र की लहरों में कुछ बदलाव देखने को मिला। देखते ही देखते पूरा गांव सुनामी से तबाह हो गया। यह सारी कहानी 05 नवंबर 1854 को हुई थी इसलिए आज के दिन विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
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विश्व की प्रलय सुनामी
26 दिसंबर 2004 का दिन इतिहास में सबसे प्रलयकारी दिन माना जाता है। इंडोनेशिया इस सुनामी (Tsunami) का मुख्य केंद्र था इसलिए सबसे ज्यादा तबाही इस क्षेत्र में आई। हिंद महासागर के सबडक्शन जोन में 9.1 % तीव्रता का भूकंप आया। जिसके बाद सुनामी ने भारी तबाही मचाई। आचे प्रांत के तटीय इलाकों को 800 कि.मी. हिस्से को इस सुनामी के कारण प्रभाव पड़ा। इस सुनामी की वजह से ही तकरीबन 6 कि.मी. तक क्षेत्र जलमग्न हो गया था। लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। इस सुनामी से 12 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
यह सुनामी (Tsunami) इतनी भयावह थी कि इससे केवल एक जगह को प्रभाव नहीं पड़ा बल्कि इसकी चपेट में भारत समेत 14 देश आए। इस सुनामी से अकेले भारत में 12 हजार 405 लोगों की मौत हुई थी। इसके साथ ही भारत के 3874 लोगों के लापता होने की खबर सामने आई थी।
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