लखनऊ(आकाश शेखर): योगी सरकार बुधवार 22 फरवरी को वर्ष 2023-24 का बजट सदन में पेश करने जा रही है। इस बार सात लाख करोड़ रुपये के आस-पास बजट पेश होने का अनुमान लगाया जा रहा है। प्रदेश के इतने भारी भरकम बजट के बावजूद यह आम आदमी के जीवन में बड़ा प्रभाव नहीं डाल पाता है। आपको बता दें कि वेतन वृद्धि, करों में कमी या वृद्धि, वस्तुओं के सस्ता या महंगा होने जैसी कोई भी घोषणा राज्य के बजट में आम तौर पर नहीं होती है। इसके बावजूद आम आदमी की नजर लोक कल्याण संकल्प पत्र (चुनावी घोषणा पत्र) के वादे पूरा करने के लिए कितनी धनराशि आवंटित की गई, इस पर रहेगी। केंद्र सरकार की तरह ही राज्य सरकार भी अपने बजट में अगले वित्त वर्ष में आय और व्यय का अनुमान बताती है।
राज्य सरकार के राजस्व जुटाने के अलग-अलग स्रोत होते हैं। योजनाओं पर होने वाला खर्च भी सरकार अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर करती है। जीएसटी के बाद राज्य सरकार अप्रत्यक्ष कर भी नहीं तय करती है। राज्य सरकार अब आबकारी और निगम जैसे करों का निर्धारण करती हैं। राज्य सरकार की कमाई देखी जाए तो उसका बड़ा हिस्सा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, स्वयं के कर यानी राज्य वस्तु एवं सेवा कर, वैट, निगम कर, भू-राजस्व, स्टांप एवं पंजीकरण शुल्क आदि से होता है, इनके अलावा करेत्तर राजस्व भी प्राप्त होता है।
पेट्रोल व डीजल पर राज्य सरकार वैट लगाती है और यह प्रदेश की कमाई का बड़ा हिस्सा होता है, इसलिए राज्य सरकारें इसे जीएसटी में शामिल करने का विरोध करती हैं। अगर पेट्रोलियम पदार्थों से वैट कम हो जाए तो इसका असर आम लोगों पर सीधा पड़ेगा और महंगाई भी कम हो जाएगी। वर्ष 2022-23 का बजट देखा जाए तो प्रदेश सरकार करों व अन्य संसाधनों से होने वाली कुल कमाई का मात्र 20.5 प्रतिशत धनराशि ही सीधे विकास कार्यों यानी पूंजीगत परिव्यय के लिए आवंटित कर पाई थी।
इसके बाद कुल राजस्व का 79.50 प्रतिशत राशि कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन, विकास कार्यों के लिए लिए गए कर्ज की किस्त और ब्याज के भुगतान, कार्यालयों के खर्चे, केंद्रीय योजनाओं में राज्य सरकार का अंशदान आदि में चला गया था। जाने-माने अर्थशास्त्री ए.पी तिवारी कहते हैं कि योगी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर फोकस बढ़ाया है। सरकार का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से ही निजी निवेश तेजी से आएगा। सड़क, सेतु, एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट आदि का निर्माण तेज किया है। इससे आम आदमी का सीधा जुड़ाव भी होता है।
इस बजट में भी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में अधिक धनराशि आवंटन की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, एमएसएमई, कृषि के क्षेत्र में अधिक बजट देकर आम आदमी को राहत पहुंचाई जा सकती है। ए.पी तिवारी कहते हैं कि आम आदमी को राज्य के बजट से खुशी तभी मिलती है जब उसके जिले या फिर उसके क्षेत्र के आसपास होने वाले विकास कार्यों की कोई घोषणा होती है या फिर संकल्प पत्र में दिए गए लोकलुभावन वादों को पूरा करने के लिए बजट में धनराशि आवंटित होती है।
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आपको बता दें कि कहां-कहां से आता है रुपया स्वयं के कर – 36.5 प्रतिशत, करेत्तर राजस्व – 3.9 प्रतिशत, केंद्रीय करों में राज्यांश – 24.2 प्रतिशत, केंद्र सरकार से सहायता – 17.9 प्रतिशत, लोक लेखा शुद्ध – 1.0 प्रतिशत, लोक ऋण – 13.1 प्रतिशत, समस्त लेन देन का शुद्ध परिणाम – 3.0 प्रतिशत, कर्ज एवं अग्रिम की वसूली – 0.4 प्रतिशत। इसके साथ ही कहां-कहां खर्च होता है रुपया उसमें पूंजीगत परिव्यय – 20.5 प्रतिशत, वेतन सरकारी – 13.1 प्रतिशत, वेतन सहायता प्राप्त संस्थाएं – 12.2 प्रतिशत, पेंशन – 12.8 प्रतिशत, सहायता अनुदान – 9.3 प्रतिशत, ब्याज – 7.6 प्रतिशत, अन्य राजस्व व्यय – 13.5 प्रतिशत, सब्सिडी – 3.8 प्रतिशत, कर्ज की अदायगी – 3.7 प्रतिशत, स्थानीय निकायों का समानुदेशन – 3.0 प्रतिशत, कर्ज एवं अग्रिम – 0.5 प्रतिशत (स्रोत-राज्य सरकार के वर्ष 2022-23 के बजट के अनुसार) शामिल हैं।