Army: भारतीय सेना ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस टेक्नोलॉजी का ट्रायल करने के लिए सोमवार को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के साथ हाथ मिलाया। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य की मौजूदगी में हुआ ये करार ग्रीन टेक्नोलॉजी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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इस मौके पर मनोज पांडे ने कहा, अब हम सड़क पर चलने वाली पहली 15 बसों में से एक का परीक्षण करने जा रहे हैं। इसलिए हम इस प्रगतिशील और दूरदर्शी पहल में आईओसीएल और टाटा मोटर्स के साथ साझेदारी करके बेहद खुश हैं। मुझे भारतीय सेना को अपना भागीदार चुनने के लिए आईओसीएल को सौंपना चाहिए। हम जल्द ही अपने सभी रैंकों के जवानों के लिए दिल्ली की सड़कों पर संचालन या उड़ान के लिए ये बस शुरू करेंगे। मुझे लगता है कि ये उद्यम बहुत प्रभाव रखता है क्योंकि परिणाम के आधार पर हमारे बेड़े में शायद ज्यादा ग्रीन हाइड्रोजन या ईंधन आधारित चीजें होंगी।
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आईओसीएल के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा, मुझे यकीन है कि ये सिर्फ एक छोटा सा कदम है, जिसका बहुत बड़ा असर हुआ है। जब भी हम भारतीय सेना के परिवहन सेक्टर के लिए बेड़े का विकास करेंगे, तो मुझे लगता है कि हम ग्रीन हाइड्रोजन का सप्लायर होने पर बहुत गर्व महसूस करेंगे। 250-300 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली हाइड्रोजन बस में एक बारी में 37 लोग बैठ सकते हैं। इसके टैंक की क्षमता 30 किलो है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रो-केमिकल प्रोसेस के माध्यम से हाइड्रोजन गैस को बिजली में बदलती है। इसमें बाय-प्रोडक्ट के तौर पर वाटर वेपर बचता है।
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