AI: आज के समय में AI की एक अलग ही लहर दौड़ रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियों के बीच AI को लेकर प्रतिस्पर्धा छिड़ी हुई है। हर काम को आसान करने के लिए AI लोगों के लिए काफी सहायक साबित हो रहा है। यानी कि हमारे कई काम मशीनें अब खुद-ब-खुद करना शुरू कर रही हैं। हालांकि, AI के उपयोग को लेकर भी कुछ एक्सपर्ट डेटा सुरक्षा, जासूसी और जेब कटने जैसे विषयों पर चिंता जता रहे हैं।
बता दें, जब से Open AI ने अपना चैटबॉट Chat GPT लांच किया है, उसके बाद से AI ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। डिजिटल युग में AI के इस्तेमाल की चर्चा का मुद्दा बेहद गर्म है। AI सुनने और प्रयोग करने में जितना आसान लगता है, उतना ही जोखिम भरा भी हो सकता है। हर किसी को AI के प्रयोग के लिए ना सिर्फ हमें ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे, बल्कि इसकी बहुत भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है
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AI फीचर्स को यूज करने के लिए है ये शर्त-
AI फीचर्स का प्रयोग करने के लिए आपको एक शर्त पूरी करनी होगी। यह शर्त है आपका डेटा। वैसे तो कंपनियों के पास आपका डेटा पहले से ही होता है। लेकिन जितना आसान काम करेगा, उतनी ही ज्यादा इसे जानकारी के एक्सेस भी चाहिए होगें। यह एक्सेस आपके काम को ऑटोमेटिक तरीके से करने के लिए किया जाता है। यानी कि आपके हर एक्शन की जानकारी अब AI के पास मौजूद होगी।
सरल शब्दों में समझा जाएतो, आपका iPhone आपके तमाम ऐप्सके डेटा को इकट्ठा करके रखेगा। आपकी windows लैपटॉप का स्क्रीनशॉट हर सेकेंड लेगा। वहीं गूगल स्कैम से बचाने के लिए आपके फोन कॉल्स को खुद के पास फॉरवर्ड करेगा। Microsoft ने एक फीचर का ऐलान किया है, जिसका नाम है Recall । जो आपके वेबब्राउजिंग से लेकर आपके नोटपैड और सोशल मीडिया पेज का स्क्रीनशॉट लेगा। ताकि भविष्य में जब भी आप मशीन से कोई सवाल करें तो यह आपको रिजल्ट उस पेज से रिलेटेड दिखाएगा जो आपने पहले कभी ओपन किया होगा।
सुनने में तो यह सब सिक्योरिटी से संबंधित लग रहा है लेकिन यह पूरा सच नहीं है। जरा सोचिए अगर हैकर उस कंपनी का सिस्टम हैक कर लें। तो सारा डेटा उसके पास आसानी से चला जाएगा। बिना मशक्कत किए ही आपकी सारी जानकारी पलभर में उसके पास चली जाएगी। आपकी बैंक अकाउंट की डिटेल से लेकर आपकी पर्सनल जानकारी तक हैकर्स के पास आसानी से पहुंच जाएगी।
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इन सब से कैसे है खतरा-
AI अभी अपनी उस चरम सीमा पर नहीं पहुंच पाया है। जहां वह अपना सारा काम खुद कर ले। कई बार ऑटोमेटिक काम के लिए इसे बाहरी पावर का प्रयोग करना पड़ता है। वैसे तो दावा किया जाता है कि यह पावर या सॉफ्टवेयर आपकी जानकारी को सुरक्षित रखेगा। असल बात यह है कि कुछ पावर की सच्चाई कुछ और ही होती है। जैसे ही आपका डेटा इन सॉफ्टवेयर तक पहुंचता है, वैसे ही वह जानकारी रिस्क जोन के अंदर आ जाती है। एक बार कोई जानकारी किसी रिस्क जोन के अंदर आ गई तो वह दूसरे लोगों के लिए सार्वजनिक हो जाएगी। एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोग कई बार जानकारी के अभाव में इन साइट या पावर का प्रयोग करने लग जाते हैं और साइबर ठग या कंपनियों उनकी इसी चीज़ का फायदा उठाकर अपने झांसे में फंसा लेते हैं।
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