Suicide: क्या आपको पता है हर 40 सेकंड में कोई ना कोई लगा रहा मौत को गले ?

Suicide

Suicide: सुख-दुख हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है क्योंकि इस जिंदगी में अनेकों संघर्ष करने पड़ते हैं। हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई मुश्किल जरूर आती है। कई लोग इनको अपने ऊपर इतना ज्यादा हावी होने देते हैं कि अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर देते हैं, वहीं पर एक तबका ऐसा भी है जो मुश्किल हालात होते हुए भी अपना जीवन खुशी से काट लेता है। दुनिया की बात तो बहुत दूर की है हमारे ही देश में प्रत्येक 40 सेकेंड में कोई ना कोई शख्स मौत को गले लगा रहा है। इसके बारे में जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है।

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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत कब हुई ?

इस दिन को मनाने की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2003 में की गई थी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्महत्या (Suicide) के बारे में लोगों को जागरूक करना और होने वाले कारणों के बारे में लोगों को बताना था। साथ ही इससे प्रभावित लोगों की मदद करना भी उनका मकसद था। बता दें, भारत देश में जीवन दर से ज्यादा तेजी से युवाओं की आत्महत्या दर बढ़ती जा रही है। 24 साल तक के व्यक्तियों की आबादी जहां 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हुई है, वहीं छात्रों की आत्महत्या के मामले में यह 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई है।


क्या कहती है NCRB की रिपोर्ट ?

साल 2024 में कुल आत्महत्याओं की संख्या में जहां 2% की वृद्धि हुई, वहीं छात्र आत्महत्या के मामले में 4% की बढ़ोतरी हुई है। जो हमारे देश और समाज के लिए बेहद गंभीर विषय है। इस सुसाइड रेट में लड़कों के साथ-साथ लड़कियां भी शामिल हैं, जिससे पता चलता है कि पढ़ाई का बोझ हमारे युवाओं के लिए काल का कारण बनता जा रहा है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा आत्महत्या (Suicide) दर देखने को मिली, जहां सालाना 1764 छात्र को मौत को गले लगाते हैं जो 14% है। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु में 1416 के साथ 11% लोग, मध्यप्रदेश में 1340 यानि 10% लोग हर साल आत्महत्या कर लेते हैं। उत्तर प्रदेश में 8% के साथ 1060, झारखंड में 824 यानी कि 6% छात्र पढ़ाई के बोझ तले आकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं।

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 क्या हैं इससे बचने के प्रयास ?

हमारे देश में आत्महत्या कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। आत्महत्या (Suicide) एक ऐसा फैसला है, जिसे कोई इंसान एक दम से नहीं करता बल्कि यह विचार धीरे-धीरे हमारे दिमाग में पनपने लगता है। जैसे- जब मनुष्य को किसी चीज की चाहत होती है और वो उसे नहीं मिलती या फिर वह अपनी जिंदगी से तंग हो जाए तब जाकर वह इस तरह का फैसला लेने पर मजबूर हो जाता है। इससे बचने के कुछ उपाय हैं, जिससे अगर किसी का मन उदास हो तो तुरंत राहत मिल सकती है और इस तरह के अपराध से बचा जा सकता है। ईश्वर ने हमें इस दुनिया में कुछ सोच समझकर भेजा है हर किसी का कोई ना कोई रोल है इसलिए अपनी मर्जी से कभी भी ऐसे कदम नहीं उठाएं।

मेडिटेशन करें- मेडिटेशन करने की सलाह अक्सर मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी जाती है। क्योंकि इससे हमारे शरीर के साथ-साथ हमारा मस्तिष्क शांत रहता है। यह नकारात्मक विचारों को दूर रखता है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में चल रही उथल-पुथल को भी हम शांत रहकर सुलझा सकते हैं।

अपने शुभ चिंतकों से करें बातचीत- जब भी आप अपनी जिंदगी में तनाव या परेशानी फील करें तो आप किसी शुभचिंतक से बातचीत जरूर करें। बात करने से हमारा मन एकदम शांत हो जाता हैऔर  साथ ही हमें कोई अच्छी सलाह भी जरूर मिलती है। इसके लिए आवश्यक है कि आप उस व्यक्ति से बात करें जिस पर आपको भरोसा हो या जो आपको समझ सकता हो।

मनोचिकित्सक की सहायता लें- मन पर नकारात्मक प्रभाव कब आत्महत्या के विचार में बदल जाएंगे आपको पता भी नहीं चलेगा। अगर आपको लगे कि आपको कोई समझने वाला नहीं है, तो आप मनोचिकित्सक की मदद ले सकते हैं, जिससे वे आपकी बात को सुनेंगे और आपको इसका निवारण भी देंगें।

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