Venus Orbiter Mission: शुक्र ग्रह को प्यार वाला ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसे प्रेम के कारक वाला ग्रह माना जाता है। इसके साथ-साथ इसे पृथ्वी की जुड़वां बहन के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इन दोनों ग्रहों के बीच कई सारी समानताएं हैं। इन सभी समानताओं का और अधिक गहराई से विश्लेषण करने के लिए भारत स्पेस एजेंसी ISRO शुक्र पर मिशन (Venus Orbiter Mission) भेजने के लिए तैयार है। जिसे 18 सितंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
बता दें कि यह दूसरा ग्रहीय मिशन है। जो 2014 के सफल मंगल ऑर्बिटर मिशन के बाद किसी अन्य ग्रह के अध्ययन के लिए भारत की तरफ से तैयार किया जाएगा। इसके साथ-साथ कुछ अन्य परियोजनाओं को भी मंजूरी मिली है। इस मिशन को Venus Orbiter Mission और सामान्य भाषा में शुक्रयान-1 नाम दिया गया है। इस मिशन की तैयारियां मंजूरी मिलने के बाद ही शुरू की जाएगी, लेकिन इसकी उड़ान 2028 तक भरने की योजना है। इस मिशन का बजट 1,236 करोड़ रुपये है जिनमें से 824 करोड़ रुपये यान पर खर्च किए जाएगें।
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क्या है Venus Orbiter Mission का मुख्य उद्देश्य ?
इस यान को भेजने का ISRO का मुख्य उद्देश्य शुक्र (Venus) के चारों ओर वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान स्थापित करना है। यह शुक्र की सतह, उपसतह और इसके वायुमंडलीय प्रक्रियाओं की जानकारी प्रदान करने में मदद करेगा। साथ ही साथ यह शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करेगा। इसमें खास बात यह है कि ग्रह की सतह पर यान नहीं उतरेगा। यह ग्रह की परिक्रमा करके वायुमंडल से माप और जानकारी इकट्ठी करेगा। अगर यह सफल होता है तो यह भारत के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में सफलता के नए आयाम खोल देगा।
क्यों किया जा रहा यह अध्ययन ?
विकास को समझना- यह यान इसलिए भी भेजा जा रहा है ताकि पृथ्वी के विकास को समझा जाए। ये आपके लिए चौंकाने वाली बात हो सकती है कि शुक्र (Venus) के द्वारा पृथ्वी के विकास को कैसे समझा जा सकता है ? जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि शुक्र ग्रह पृथ्वी की जुडवां बहन भी कहा जाता है क्योंकि दोनों ग्रहों में कई सारी समानताएं हैं। इसके साथ-साथ शुक्र से ग्रह पर रहने वाले कारकों की जानकारी जुटाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
पृथ्वी से समानताएं- शुक्र (Venus) और पृथ्वी में कई सारी समानताएं हैं। शुक्र का आकार, उसका द्रव्यमान, घनत्व और आयतन सभी पृथ्वी के समान है। शुक्र ग्रह का वायुमंडल पृथ्वी के मुकाबले घना और यहां पर बादल सल्फ्यूरिक एसिड से बने हुए हैं। इसके साथ ही इसकी सतह पर अधिक दबाव भी है।
ऐतिहासिक निवास स्थान- ऐसा कहा जाता है कि शुक्र (Venus) ग्रह के कारकों से अनुमान लगाया जाता है कि वहां पर भी कारकों के आधार पर जीवन जीया जा सकता है। समय के साथ-साथ कुछ बदलाव आए और कारकों में भी परिवर्तन देखा गया। ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ का कहना है कि पृथ्वी भी समय के साथ शुक्र (Venus) जैसी बन सकती है इसलिए उन कारकों पर ध्यान देना जरूरी है।
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शुक्र से जुड़े अन्य मिशन ?
भारत का ये दूसरा ग्रहीय मिशन है लेकिन शुक्र (Venus) पर पहली बार कोई मिशन भेजा जाएगा । इससे पहले शुक्र पर रिसर्च हो चुकी है और कुछ अध्ययन अभी भी चल रहे हैं। NASA ने दिसंबर 1962 में मेरिनार मिशन 2 शुक्र के पास भेजा था। यूरोप अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने अपना पहला मिशन Venus Express को शुक्र ग्रह के आयन मंडल और वायुमंडल का विश्लेषण करने के लिए भेजा था। जापान का अकात्सुकी मिशन शुक्र ग्रह की कक्षा में अध्ययन कर रहा है। आने वाले समय में NASA की तरफ से दो अन्य मिशन भेजे जाने की आशंका है जिनका नाम वेरिटास और डेविन्सी होगा ।
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