प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने की वजह से दिल्ली सरकार ने पांचवीं क्लास तक की पढ़ाई ऑनलाइन कराने के आदेश जारी कर दिए है। बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए पिछले कई सालों से इस तरह की कवायद चल रही है। ऑनलाइन क्लास के फैसले ने बच्चों के माता-पिता और स्कूल स्टाफ दोनों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
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दरअसल शिक्षकों की दलील है कि ऑनलाइन क्लास की आदत पड़ने के बाद फिर से रेगुलर क्लास में जाने पर बच्चों को दिक्कत होती है। ऑनलाइन क्लास के लिए जिन डिवाइस की जरूरत होती है, वो हर बच्चे के घर में हों, ऐसा 100 फीसदी नहीं है। किसी के पास घर में वाई फाई की सुविधा नहीं है तो किसी के पास लैपटॉप, टैब या बच्चे के लिए अलग स्मार्टफोन नहीं है। इससे सभी बच्चों के लिए एक जैसा सीख पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
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बता दें कि जैसे-जैसे ऑनलाइन का चलन बढ़ रहा है, उससे माता-पिता पर दबाव भी बढ़ रहा है। कुछ लोग बढ़ते स्क्रीन टाइम के प्रभावों के साथ-साथ गैजेट के ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले साइड इफेक्ट्स से भी चिंतित हैं। दिल्ली की वायु गुणवत्ता में शुक्रवार को मामूली सुधार के बावजूद शनिवार को यह फिर से “सीरियस” कैटेगरी में पहुंच गई। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी सीक्यूएम ने दिल्ली में ग्रैप-थ्री लागू कर दिया है। इसके तहत निजी निर्माण और तोड़फोड़ समेत कई तरह के प्रतिबंध लागू हो गए हैं।
ऑनलाइन क्लास के नियम से स्कूल थोड़ा परेशान हो गए हैं। उन्हें लगता है कि इससे बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ेगा वैसे स्कूलों की कोशिश है कि वो किसी भी तरह से दिशा निर्देश का पालन करते हुए क्लास जारी रखें ताकि बच्चों की पढ़ाई का समय बर्बाद न हो।
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