New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की उस याचिका पर सुनवाई के लिए गुरुवार 6 फरवरी को 16 अप्रैल की तारीख तय की, जिसमें उन्होंने सीबीआई की एफआईआर रद्द किये जाने का अनुरोध किया है।
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शराब बनाने वाली कंपनी डियाजियो स्कॉटलैंड की व्हिस्की की शुल्क मुक्त बिक्री पर प्रतिबंध लगाने में मदद करने के आरोप में कार्ति के खिलाफ जांच एजेंसी ने ये एफआईआर दर्ज की थी। कार्ति के वकील ने कहा कि जिरह करने वाले वकील उपलब्ध नहीं हैं, जिसके बाद जस्टिस विकास महाजन ने सुनवाई टाल दी। कोर्ट ने कहा कि मामले को 16 अप्रैल को (सुनवाई के लिये) फिर से सूचीबद्ध किया जाए। कार्ति ने अपनी दलील में कहा है कि बहुत ज्यादा देरी करते हुए यह एफआईआर अवैध तरीके से एक जनवरी को दर्ज की गई थी। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यह दुर्भावनापूर्ण है और ‘‘राजनीतिक और शासन के प्रतिशोध’’ से प्रेरित है। कांग्रेस सांसद के खिलाफ यह चौथा मामला है, जो 2018 में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्रारंभिक जांच से शुरू हुआ है।
कार्ति के पिता पी. चिदंबरम के केंद्रीय वित्त मंत्री रहने के दौरान ये (चौथा) मामला एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड) मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। यह मामला कटरा होल्डिंग्स, एएससीपीएल, कार्ति और अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया है, ‘‘एफआईआर दर्ज करने में अत्यधिक देरी हुई है क्योंकि आरोप 2004-2010 (प्राथमिकी के अनुसार) की अवधि से संबंधित हैं, जबकि संबंधित एफआईआर 2025 में, यानी 20 साल बाद दर्ज की गई है।”
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वकील अक्षत गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकार की पूर्व अनुमति लिए बिना अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, इसलिए इसके दर्ज किया जाना गैरकानूनी है और किसी तरह कर जांच या इससे संबंधित पूछताछ भी गैरकानूनी है। इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप का प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता। अधिकारियों ने नौ जनवरी को बताया था कि सीबीआई ने आईटीडीसी (भारत पर्यटन विकास निगम) द्वारा व्हिस्की की शुल्क मुक्त बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध के संबंध में डियाजियो स्कॉटलैंड को कथित रूप से राहत देने को लेकर कार्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।