प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र में हरियाणा विधान सभा के सदस्यों को संबोधित कर राज्य सभा के उपसभापति ने कही ये बातें

राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने शनिवार को प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र में हरियाणा विधान सभा के सदस्यों को संबोधित कर कहा कि सदन में व्यवधान को सदस्यों के विशेषाधिकार का उल्लंघन माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग सदन में अपने मुद्दे उठाने के लिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं और सदन की कार्यवाही में सदस्यों की भागीदारी उनका विशेषाधिकार है। इसलिए, व्यवधान के माध्यम से सदन की कार्यवाही में बाधा डालना सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन है । उन्होंने सुझाव दिया कि व्यवधान को विशेषाधिकार का हनन मानने के लिए आम सहमति बनाई जानी चाहिए।

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राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने ये टिप्पणियां हरियाणा विधान सभा के सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र में उन्हें संबोधित करते हुए कीं। इस कार्यक्रम का उद्घाटन कल चंडीगढ़ में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया था । समापन सत्र में हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष, हरविंद्र कल्याण; हरियाणा सरकार के संसदीय कार्य मंत्री, महिपाल ढांडा और हरियाणा विधान सभा के सदस्य भी शामिल हुए।

विधायिका को कार्यापालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला प्रहरी बताते हुए राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने कानूनों की विधायी समीक्षा का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विधायिका द्वारा की जाने वाली ऐसी समीक्षा से कानूनों के बेहतर कार्यान्वयन और बजटीय संसाधनों के सार्थक उपयोग में मदद मिलेगी। श्री हरिवंश ने कहा कि बजटीय प्रावधान गवर्नेंस के समानुपातिक होने चाहिए। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे राज्य के आर्थिक विकास और लोगों के आर्थिक उत्थान के लिए आवश्यक सुधार करें।

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राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने इस अवसर पर हरियाणा विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई दी और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि नव निर्वाचित सदस्य समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हुए सदन को समावेशी बना रहे हैं। हरियाणा विधान सभा के गौरवशाली इतिहास के बारे में बात करते हुए उन्होंने विधान सभा के पूर्व नेताओं के योगदान का स्मरण किया और उनकी समृद्ध विरासत को नमन किया । अटल बिहारी वाजपेयी और हीरेन मुखर्जी जैसे सुविख्यात सांसदों का समरण करते हुए उन्होंने कहा कि वे कभी भी विरोध जताने के लिए सदन के वेल में नहीं गए, फिर भी अपने गहन ज्ञान, संसदीय कौशल और सकारात्मक संवाद के माध्यम से वे सदन की कार्यवाही में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। यह टिप्पणी करते हुए कि संवाद और चर्चा के स्तर से शासन के सही परिणाम मिलते हैं, श्री हरिवंश ने सदस्यों से आग्रह किया कि प्रभावी विधिनिर्माता बनने और सदन की कार्यवाही में प्रभावी ढंग से और दक्षतापूर्वक भाग लेने के लिए उन्हें नियमों और प्रक्रियाओं का ज्ञान होना चाहिए। सांसदों द्वारा विधि निर्माता के रूप में अपने दायित्वों के प्रभावी निर्वहन के लिए उन्होंने गहन शोध एवं अध्ययन के महत्व को भी रेखांकित किया। उपसभापति ने यह भी कहा कि गरिमा एवं अनुशासन से अपना पक्ष रखने से उनकी बात और प्रभावी होंगी।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हरियाणा सरकार के संसदीय कार्य मंत्री, महिपाल ढांडा ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते सांसदों पर जनता की आशाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। जनता अपने प्रतिनिधियों से अपनी समस्याओं के समाधान की अपेक्षा करती है, इसलिए सदस्यों के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य हो जाता है कि वे जो भी कदम उठाएं, वह जनता को पेश आने वाली समस्याओं के समाधान की दिशा में हो। प्रबोधन कार्यक्रम के उद्देश्यों एवं परिणामों के बारे में बात करते हुए ढांडा ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सभी व्याख्यानों में वरिष्ठ नेताओं और विषय विशेषज्ञों ने अपने ज्ञान और अनुभव को साझा किया । उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रबोधन कार्यक्रम में व्याख्यानों के दौरान मिली जानकारी से सांसदों को अपने अधिकारों, दायित्वों एवं कर्तव्यों का बोध हुआ होगा जिससे सदन में होने वाला वाद-विवाद और चर्चाएं अधिक प्रभावी एवं जीवंत होंगी ।

हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा । कल्याण ने प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में लोक सभा अध्यक्ष की गरिमामयी उपस्थिति तथा उनके विचारोत्तेजक उद्घाटन भाषण के लिए आभार व्यक्त किया । उन्होंने ओम बिरला की ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच’ पहल तथा विधान सभा रिकार्ड के डिजिटलीकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रबोधन कार्यक्रम हरियाणा विधान सभा के सदस्यों की कार्यकुशलता बढ़ाने में सहायक होगा तथा सदस्य सदन तथा समितियों के माध्यम से जन कल्याण कार्यों को अधिक प्रभावी ढंग से करने में सक्षम होंगे। यह टिप्पणी करते हुए कि विधानमंडलों में समितियां पूरा साल काम करती हैं तथा विधेयकों की जांच सहित महत्वपूर्ण कार्य करती हैं, कल्याण ने सदस्यों से समिति की कार्यवाही में प्रभावी रूप से भाग लेने तथा सार्थक योगदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे विधानमंडल अधिक प्रभावी बनेंगे तथा सदस्य विधानों में जन आकांक्षाओं को शामिल कर पाएंगे । श्री कल्याण ने इस अवसर पर विधायकों से सदन में अनुशासन, गरिमा और शिष्टाचार के प्रति प्रतिबद्ध रहने का आग्रह भी किया।

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इस दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री, मनोहर लाल खट्टर, संसदीय समितियों के सभापति, संसद सदस्य, पूर्व सदस्य तथा लोक सभा और राज्य सभा सचिवालयों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित विषय विशेषज्ञों ने हरियाणा विधान सभा के सदस्यों को निम्नलिखित विषयों पर जानकारी दी:

* प्रभावी विधायक कैसे बनें: सदस्यों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए;
* भारतीय संसद और हरियाणा विधान सभा में विधायी और वित्तीय कार्य;
* समिति प्रणाली – संसदीय लोकतंत्र का प्रतिबिंब;
* विधानमंडलों में प्रश्नों और अन्य साधनों के माध्यम से कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करना ;
* विधायी प्रक्रियाओं में मंत्री की भूमिका;
* संसदीय विशेषाधिकार; और
* राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा)।

हरियाणा की 15वीं विधान सभा के सदस्यों के लिए इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा हरियाणा विधान सभा सचिवालय के सहयोग से किया गया।

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