Wakf Amendment Bill: भारत में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख संगठन एआईएमपीएलबी यानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुधवार को कहा कि वो वक्फ (संशोधन) विधेयक को अदालत में चुनौती देगा।एआईएमपीएलबी ने इसे एक ‘काला कानून’ करार दिया और इसे समुदाय के अधिकारों को खतरे में डालने वाला बताया।
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वक्फ (संशोधन) विधेयक को बुधवार को लोकसभा में चर्चा और पारित कराने के लिये पेश किया गया। निचले सदन में ये विधेयक अगर पारित हो जाता है तो गुरुवार को इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।एआईएमपीएलबी के सदस्य मोहम्मद अदीब ने विधेयक की आलोचना करते हुए दावा किया कि ये मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को जब्त करने का एक प्रयास है।
अदीब ने कहा कि इस विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विचार-विमर्श के दौरान इसका विरोध किया गया था।उन्होंने कहा कि ये नहीं माना जाना चाहिए कि बोर्ड लड़ाई हार गया है बल्कि उसने अभी शुरुआत की है। उन्होंने इसे देश को बचाने की लड़ाई बताते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून भारत के मूल ढांचे को खतरे में डालता है।अदीब ने सभी जागरूक नागरिकों से विधेयक का विरोध करने का आग्रह किया और एआईएमपीएलबी की इस प्रस्तावित कानून का कानूनी रूप से और सार्वजनिक प्रदर्शनों के माध्यम से विरोध करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
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उन्होंने कहा कि बोर्ड अदालत जाएगा और जब तक ये कानून वापस नहीं लिया जाता चैन से नहीं बैठेंगे।’एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता मोहम्मद अली मोहसिन ने कहा, ‘‘हमने ये लड़ाई इसलिए शुरू की है क्योंकि हम देश को बचाना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य इस काले कानून को खत्म कराना है।’’बोर्ड के सदस्यों ने किसानों के आंदोलन से तुलना करते हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का भी संकेत दिया।
मोहसिन ने कहा, ‘‘हम किसानों की तरह ही पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो हम सड़कें जाम करेंगे और बिल का विरोध करने के लिए सभी शांतिपूर्ण कदम उठाएंगे।’’वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले 1995 के अधिनियम में संशोधन करना है।केंद्र ने कहा है कि संशोधनों का उद्देश्य देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना है।
ये विधेयक पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया, जिसने इसकी जांच की और इस साल फरवरी में एक रिपोर्ट पेश की।विधेयक में विवादास्पद बदलावों में केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों के लिए प्रावधान शामिल है। साथ ही, वक्फ के रूप में पहचानी जाने वाली कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रह जाएगी और जिला कलेक्टर उसका स्वामित्व निर्धारित करेगा।
