केंद्र में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “पिछले 11 वर्षों में प्रौद्योगिकी भारत की विकास गाथा का इंजन बनी

Dr. Jitendra Singh: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि पिछले 11 वर्षों में प्रौद्योगिकी भारत की विकास गाथा का इंजन बन गई है और इस प्रकार यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गई है, जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रत्येक क्षेत्र में शुरू किए गए परिवर्तनकारी विज्ञान-आधारित शासन और प्रौद्योगिकी-संचालित सुधारों को जाता है।राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सहित सभी विज्ञान मंत्रालयों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “पिछले एक दशक में बदले हुए परिदृश्य में भारत न केवल भाग ले रहा है, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक चर्चा को आकार दे रहा है। हम दूसरों के लिए अनुकरणीय मानक स्थापित कर रहे हैं।”
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए अग्रणी सुधारों, नागरिक-केंद्रित नवाचार और अंतरिक्ष तथा परमाणु क्षेत्रों को खोलने जैसे अनोखे निर्णयों की बदौलत भारत किस तरह से वैश्विक वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र के केंद्र में पहुंच गया है।केंद्र में मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि, “इन सुधारों का व्यापक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों – कृषि, शिक्षा, आपदा प्रबंधन, रक्षा, शासन और यहां तक ​​कि जलवायु लचीलापन – में देखा जा रहा है।”केंद्र में मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि, भारत को उभरते वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी गंतव्य के रूप में सराहा, जिसे बायोई3 नीति – अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी द्वारा बढ़ावा मिला है।
उन्होंने कहा, “भारत आज जैव प्रौद्योगिकी के लिए सबसे अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। समय सही है, पारिस्थितिकी तंत्र परिपक्व है, और हमारे पास दूरदर्शी नेतृत्व है जो हमें वैश्विक जैव अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर कर रहा है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके दूरदर्शी नेतृत्व, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और भारत के वैज्ञानिक समुदाय को सशक्त बनाने वाले सक्षम वातावरण के निर्माण का श्रेय दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री के संरक्षण में, आज वैज्ञानिकों को नवाचार करने, अन्वेषण करने और राष्ट्रीय विकास में सार्थक योगदान देने के लिए अभूतपूर्व स्वतंत्रता, विश्वास और संस्थागत समर्थन प्राप्त है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक बिरादरी को दी गई यह स्वतंत्रता और प्रोत्साहन ही है जिसने जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष से लेकर जलवायु विज्ञान और कृषि प्रौद्योगिकी तक सभी क्षेत्रों में सफलताओं को गति दी है। उन्होंने कहा, “नेतृत्व के उच्चतम स्तर से विज्ञान पर ऐसा भरोसा दुर्लभ है, और इसने भारत को नवाचार और प्रौद्योगिकी के लिए एक वैश्विक केंद्र में बदल दिया है।”
उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के तहत कई महत्वपूर्ण नवाचारों पर प्रकाश डाला, जिसमें भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए-आधारित कोविड वैक्सीन भी शामिल है, जिसने देश की महामारी प्रतिक्रिया में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने हीमोफीलिया थेरेपी के सफल नैदानिक ​​परीक्षणों का भी उल्लेख किया, जो उन्नत जैव चिकित्सा अनुसंधान में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है। एक अन्य उल्लेखनीय उपलब्धि किसान बायोक्कवच का विकास था, जो एक अभिनव कीटनाशक विरोधी सूट है जिसे किसानों को हानिकारक रासायनिक जोखिम से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो भारत के कृषि कार्यबल के लिए सुरक्षा और सम्मान दोनों सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत द्वारा विकसित बायोटेक किट का उपयोग अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला द्वारा आगामी एक्सिओम 4 मिशन पर प्रयोग करने के लिए किया जाएगा, जो अंतरिक्ष जीव विज्ञान में भारतीय विज्ञान की एक और छलांग है।वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की प्रशंसा करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कृषि आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा देने में इसकी अग्रणी भूमिका का उल्लेख किया, जिसमें हिमालयी क्षेत्र में बैंगनी क्रांति और व्यापक लैवेंडर की खेती शामिल है, जो सुगंध आधारित उद्यमिता के माध्यम से जीवन में बदलाव ला रही है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने समर्पित उपग्रह अवसंरचना के माध्यम से भारत के पड़ोसियों के साथ जलवायु और आपदा पूर्वानुमान साझा करके पड़ोसी प्रथम नीति का विस्तार करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को श्रेय दिया।उन्होंने यह भी घोषणा की कि समुद्रयान मिशन सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और भारत का गहरे समुद्र में अन्वेषण करने वाला वाहन मत्स्य 6000 अभी अंतिम सुरक्षा जांच से गुजर रहा है। समुद्री परीक्षण 2026 में शुरू होने की उम्मीद है।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत, डॉ. जितेंद्र सिंह ने दिखाया कि किस तरह से ग्रामीण सशक्तिकरण और शासन को बदलने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाया जा रहा है। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड और स्वामित्व मिशन के लिए ड्रोन और सैटेलाइट मैपिंग के उपयोग पर प्रकाश डाला, जिसने सटीक कृषि डेटा प्रदान करके किसानों को सशक्त बनाया है और राजस्व अधिकारियों पर उनकी निर्भरता को कम किया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आपदा प्रबंधन और भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण के लिए भू-मानचित्रण के अनुप्रयोग की ओर इशारा किया, जिससे डिजिटल रूप से सत्यापित संपत्ति अधिकारों और अधिक कुशल भूमि प्रशासन का निर्माण हुआ। डॉ. सिंह ने ग्रामीण भारत में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, “विज्ञान की बदौलत हमारा किसान अब अपने भाग्य का मालिक है।”
केंद्र में मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आज भारत सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के बजाय दूसरों को प्रेरित कर रहा है – वह मापनीय, किफायती और जन-प्रथम विज्ञान समाधानों के साथ देशों का मार्गदर्शन कर रहा है।प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा, “विज्ञान वास्तव में भारत की विकास यात्रा में केंद्रीय स्थान पर आ गया है।”विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. अभय करंदीकर ने पिछले दशक में हुई वैज्ञानिक प्रगति की व्यापक समीक्षा प्रस्तुत की तथा शोध संस्थानों और स्टार्टअप्स के बीच तालमेल की सराहना की, जिसने विचारों को आर्थिक सफलता की कहानियों में बदल दिया है।सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने बताया कि पूर्वानुमान की सटीकता, रडार की तैनाती और वास्तविक समय पर आपदा की पूर्व चेतावनी में काफी सुधार हुआ है, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेलवी ने सीएसआईआर की 37 प्रयोगशालाओं में किए गए नवाचारों को साझा किया, जो पूरे भारत में उद्योग स्तर पर प्रभाव डाल रहे हैं।जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने सात टीकों के विकास, 1,750 से अधिक पेटेंट दाखिल करने, 3 लाख से अधिक कोविड जीनोम की अनुक्रमणिका तैयार करने और जैव प्रौद्योगिकी अर्थव्यवस्था के 165.7 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का उल्लेख किया।

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