Shibu Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का रामगढ़ जिले में स्थित उनके पैतृक गांव नेमरा में मंगलवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।इस दौरान देश के शीर्ष नेताओं से लेकर बड़ी संख्या में आम लोगों ने नम आंखों से ‘दिशोम गुरु’ को अंतिम विदाई दी।सोरेन को जनता प्यार से ‘दिशोम गुरु’ कहती थी।Shibu Soren:
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झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के सह-संस्थापक के पैतृक गांव नेमरा में हर कोई अपने प्रिय नेता के निधन से गमजदा था।उनके बड़े बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जैसे ही मुखाग्नि दी, लोगों ने ‘गुरुजी अमर रहें’ के नारे लगाए।जेएमएम के सह-संस्थापक का सोमवार को दिल्ली के एक अस्पताल में गुर्दे संबंधी बीमारी के इलाज के दौरान निधन हो गया। वो 81 वर्ष के थे।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी में दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी।Shibu Soren:
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झारखंड के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले और जेएमएम की स्थापना करने वाले वयोवृद्ध आदिवासी नेता शिबू सोरेन अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिसने देश की राजनीति को नया आयाम दिया।81 साल के सोरेन का निधन उस राजनीतिक युग का अंत है, जिसने आदिवासी आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से उभारा।Shibu Soren:
11 जनवरी, 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव (तत्कालीन बिहार, अब झारखंड) में जन्मे सोरेन, जिन्हें ‘दिशोम गुरु’ (भूमि के नेता) और जेएमएम के पितामह के रूप में जाना जाता था, देश के आदिवासी और क्षेत्रीय राजनीतिक परिदृश्य में सबसे स्थायी राजनीतिक हस्तियों में से एक हैं।उनका राजनीतिक जीवन आदिवासियों के अधिकारों की निरंतर वकालत से परिभाषित था।सोरेन के परिवार के अनुसार, उनका प्रारंभिक जीवन व्यक्तिगत त्रासदी और गहरे सामाजिक-आर्थिक संघर्षों से भरा रहा।Shibu Soren:
