Jammu Kashmir: जम्मू क्षेत्र में पीर पंजाल और शिवालिक पर्वतमाला की पृष्ठभूमि में रहने वाले लोग भारी बारिश के कारण जमीन धंसने से निराश हैं। बीते पांच सितंबर से रामबन, रियासी, जम्मू और पुंछ के ग्यारह गांव जोशीमठ जैसे भूस्खलन संकट का सामना कर रहे हैं। घर और ज़मीन दरककर ढह गई हैं, उपजाऊ खेत बर्बाद हो गए हैं और परिवार भय और अनिश्चितता के कारण अपने पुश्तैनी घरों को छोड़ रहे हैं।
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जम्मू से 15 किलोमीटर दूर, मंदिरों के शहर के हरित इंजन कहे जाने वाले पहाड़ी इलाके में पड़ने वाले खारी गांव के मोहम्मद जावेद परिवार के पांच सदस्यों के साथ प्रशासन की ओर से मुहैया कराए गए एक तंबू में रह रहे हैं। कई सालों की कड़ी मेहनत से कमाई गई अपनी जमा-पूंजी से अपना दो मंजिला घर बनाने के बमुश्किल डेढ़ साल बाद जावेद का सपनों का घर अचानक जमीन धंसने के कारण ढह गया।
जावेद ने पीटीआई वीडियो को बताया, पिछले सा-आठ दिनों से हमारे गांव की जमीन धंस रही है। शुरुआत में गांव में छोटी-छोटी दरारें पड़ गईं और बाद में छह-सात फीट चौड़ी हो गईं। जावेद आगे कहते हैं कि उन्होंने अपना घर अभी एक साल पहले ही बनवाया था। मैंने अपनी मेहनत की कमाई, अपनी जमा-पूँजी, सब कुछ लगाकर इस घर को बनवाया था। मेरा सपनों का घर अब पूरी तरह से तबाह हो गया है। बारिश आने पर हम अपनी खेती की ज़मीन पर तिरपाल के नीचे चारपाई पर अपना सामान ढककर सोते हैं। Jammu Kashmir
यहां लगभग 20 से 25 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 69 साल के गुलाम मोहम्मद खारी अब अपने परिवार के सात सदस्यों के साथ एक आम के पेड़ के नीचे खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं, उन्हें इस डर से डर सता रहा है कि कहीं ज़मीन किसी भी पल धंस न जाए। उन्होंने कहा, पांच सितंबर को आस-पास की जमीन पांच-छह फ़ीट गहरी धंस गई थी, जिसके बाद मेरा घर ढह गया और ज़मीन में धंस गया। हम मुश्किल से अपना सामान और परिवार बाहर निकाल पाए। उन्होंने कहा, हर दिन जमीन और धंसती जा रही है। प्रशासन से मिले टेंट और राशन से तो मदद मिलती है, लेकिन यहां रहना बहुत जोखिम भरा है। हम चाहते हैं कि सरकार उन्हें सुरक्षित जगहों पर ले जाए। Jammu Kashmir
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उनकी तरह खारी की मेहरम बीबी ने भी उस सदमे को ताज़ा याद किया। उन्होंने डरते हुए कहा, छह सितंबर को कुछ ही मिनटों में मेरा घर पूरी तरह से ज़मीन में धंस गया। हमारे घर का सारा सामान घर के साथ ही दब गया। हमारे पास कुछ भी नहीं बचा है, लेकिन शुक्र है कि हम अपनी जान बचाने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा, हम सेना से मिलने वाले राशन और दयालु लोगों से मिलने वाले खाने पर गुज़ारा करते हैं, लेकिन हम यह कब तक सहन कर पाएंगे? उनकी आवाज़ काँप रही थी। जब बारिश जारी रहेगी और ज़मीन धंसती रहेगी, तो हम कहाँ जाएँगे? हम तत्काल पुनर्वास की माँग करते हैं। अगस्त के अंत में हुई भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ के बाद से, जम्मू क्षेत्र में रामबन, किश्तवाड़, पुंछ, रियासी और कठुआ ज़िलों में 11 जगहों पर ज़मीन धंसने की खबरें आई हैं, जिससे 2,500 से 3,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।