H-1B visa 2025: ट्रंप का H-1B वीजा पर नया प्रहार, भारतीय टेक-आईटी पेशेवरों की मुश्किलें बढ़ेगी

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H-1B visa 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा चार्ज को 1 लाख अमेरिकी डॉलर कर दिया है।ट्रंप के फैसले से भारतीय कंपनियां और पेशेवर प्रभावित होंगे।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा प्रोग्राम पर एक बड़ा बदलाव किया है।इसके तहत, अब हर H-1B वीजा एप्लीकेशन के लिए कंपनियों को 100,000 डॉलर की वार्षिक फीस देनी होगी। यह कदम अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता देने का दावा करता है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय आईटी पेशेवरों को होने की आशंका है। H-1B visa 2025 H-1B visa 2025 H-1B visa 2025

H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को आईटी, इंजीनियरिंग और अन्य स्पेशलाइज्ड फील्ड्स में विदेशी टैलेंट हायर करने की अनुमति देता है। हर साल 65,000 रेगुलर और 20,000 एडवांस्ड डिग्री वाले कैंडिडेट्स के लिए वीजा उपलब्ध होते हैं। लेकिन अब, इस नई फीस से कंपनियों का खर्चा आसमान छू लेगा। पहले फीस सिर्फ प्रोसेसिंग कॉस्ट तक सीमित थी, लेकिन ट्रंप का यह ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा विदेशी वर्कर्स को हतोत्साहित करने का प्रयास लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल सीनियर-लेवल प्रोफेशनल्स के लिए ही संभव होगा, जूनियर या एंट्री-लेवल वर्कर्स के लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे।

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भारतीय पेशेवरों पर इसका असर सबसे गहरा होगा। USCIS डेटा के मुताबिक, H-1B वीजा धारकों में 71% भारतीय हैं। TCS, Infosys, Cognizant जैसी कंपनियां टॉप स्पॉन्सर्स हैं – TCS के पास ही 5,500 से ज्यादा H-1B वीजा अप्रूव्ड हैं। अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी बिग टेक कंपनियां भी हजारों भारतीयों को हायर करती हैं। लेकिन यह फीस बढ़ने से छोटी कंपनियां या स्टार्टअप्स पीछे हट सकती हैं. H-1B visa 2025 H-1B visa 2025 H-1B visa 2025

कहा जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद “कंपनियां अब स्पॉन्सरशिप से हिचकिचाएंगी, खासकर एंट्री-लेवल प्रोफेशनल्स के लिए। इससे कई भारतीयों को भारत लौटना पड़ सकता है या कनाडा, यूके जैसे देशों की ओर रुख करना पड़ेगा।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अमेरिका के फैसले पर बहस छिड़ी हुई है।एक यूजर ने लिखा कि, “ट्रंप ने H-1B प्रोग्राम को बंद करने जैसा कदम उठाया, भारतीयों का खेल खत्म!” वहीं, दूसरे ने कहा, “यह इंडियन ब्रेन ड्रेन को रोकने में मदद करेगा। लेकिन टेक इंडस्ट्री चिंतित है – मेटा और अमेज़न ने इसे “बड़ा झटका” बताया है।

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ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यह अमेरिकी वर्कर्स को बचाने का कदम है – 2000 से 2019 के बीच विदेशी वर्कर्स दोगुने हो गए। लेकिन विरोधी कहते हैं कि यह US की ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस को नुकसान पहुंचाएगा। लीगल चैलेंजेस भी आ सकते हैं, क्योंकि मौजूदा कानून फीस को प्रोसेसिंग तक सीमित रखता है।वही भारतीय राजनीति में ट्रंप के H-1B फैसले के बाद प्रतिक्रिया देखने को मिली है। विपक्ष ने ट्रंप प्रशासन के फैसले को भारत के हितों के खिलाफ बताते हुए सरकार पर सवाल उठाये हैं।

नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मैं दोहराता हूं, भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जन्मदिन के फ़ोन के बाद आपको मिले रिटर्न गिफ्ट्स से भारतीय बहुत दुखी हैं। क्या यह बदलाव भारतीय टैलेंट के लिए नया दौर लाएगा? या US टेक इंडस्ट्री को झटका देगा,इन सवालों के जवाब मिलना बाकी है?

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