Pollution: महानगरों में वायु प्रदूषण बढ़ना शुरू हो गया है। ये न सिर्फ फेफड़ों और दिल को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि दिमाग पर भी बुरा असर डालता है।कई अध्ययनों ने लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से अवसाद, चिंता और सोचने-समझने की ताकत कम होने की बात की है।जानकारों के मुताबिक प्रदूषित हवा दिमाग के रसायन का संतुलन बिगाड़ देती है। इससे मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचता है।Pollution:
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जानकारों ने ये भी बताया कि गर्भवती महिलाएं प्रदूषण के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं। इससे गर्भ में बच्चों का विकास रुक सकता है।गर्भवती महिलाओं के अलावा जिन लोगों पर प्रदूषण का जोखिम ज्यादा होता है, वे हैं बच्चे, बुजुर्ग और पहले से तनावग्रस्त लोग।पर्यावरण के जानकार चेतावनी देते हैं कि मानसिक सेहत और प्रदूषण के बीच रिश्तों को अक्सर कम करके आंका जाता है।
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उनका कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता से उत्पादकता में कमी, अनिद्रा और भावनात्मक सेहत में गिरावट का खतरा होता है।जानकार जोर देते हैं कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बेहतर नीतियां और जनभागीदारी – दोनों जरूरी हैं। इसके लिए वे स्वच्छ परिवहन, कम औद्योगिक उत्सर्जन और हरित पहल की पैरोकारी करते हैं, जो न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।Pollution:
