ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने चरखी दादरी के एक कार्यक्रम में बताई मन की बात

चरखी दादरी(प्रदीप साहू): ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल वैसे तो हरियाणा से हैं, करीब चार सालों से ओडिशा में प्रवास करते हुए वहां की उडिया बोली को भी अपनी दिनचर्या में आत्मसात किया है। हिंदी भाषा पर विशेष पकड़ रखने वाले 81 वर्षीय प्रो. गणेशी लाल ने ओडिशा में रहते हुए वहां की उडिया बोली सीख ली है। अब उडिया भाषा में हरियाणवी लोकगीत ओडिशा के लोगों को सुना भी रहे हैं।
राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल चरखी दादरी में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे और उन्होंने अपने मन की बात की।

चरखी दादरी में अपने पुराने दोस्तों से मिले और पुरानी यादें ताजा की। बता दें कि प्रो. गणेशी लाल ने अपने जीवन में 27 साल गणित प्राध्यापक के रूप में सेवाएं दी। बाद में राजनीति में आए और देश-प्रदेश की राजनीति में कई अहम पदों पर कार्य कर जनेसवा की। उन्होंने बताया कि वे पिछले चार सालों से ओडिशा में रह रहे हैं। वहां के परिवेश, संस्कृति को नजदीक से जानने का अवसर मिला है। ओडिशा के लोग अद्भुत हैं और गौरवशाली संस्कृति है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने दादरी को अपना घर बताया और कहा कि संघ के कार्यक्रमों में अक्सर मेरा दादरी आना होता था। यहां कई पुराने दोस्त हैं जो मेरे परिवार की तरह हैं। उड़ीसा से यहां आकर ऐसा अनुभव होता है, जैसे मैं अपने घर पर ही आया हूं। उन्होंने खुले मन से दादरी वासियों को ओडिशा राज्य आने का निमंत्रण दिया। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह हमें वसुदेव कुटुकंबम् की भावना रखकर अपने राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए। सबका साथ, सबका विकास जैसे मूल मंत्र से ही हम भारत को विश्व शिरोमणि बना सकते हैं।

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