(अजित सिंह): गैरकानूनी तरीके से बना ट्विन टावर जमींदोज हो चुका है अब लगातार प्रशासन की ओर से साफ सफाई का काम किया जा रहा है। जेसीबी से लगातार मलबा हटाने का काम किया जा रहा है। फ़िलहाल वहां नोएडा पुलिस के जवानों की तैनाती है और किसी को भी इमारत के आसपास जाने की अनुमति नहीं है। ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण होने के बाद अब वहां से लगातार मलवा हटाने का काम किया जा रहा है। वहां पर तमाम बड़े अधिकारी मौजूद है। सुरक्षा के लिहाज से किसी को भी धराशाही मारत के पास जाने के अनुमति नहीं दी गई है। वहीं बैरिकेडिंग कर पुलिस लगातार वहां पर पेट्रोलिंग कर रही है।
आसपास के पेड़ पौधों पर अभी भी धूल नजर आ रही है जिसे पानी का छिड़काव कर जल्द ही साफ किया जाएगा। टावर के आस पास की सोसायटी में रहने वाले लोगों का कहना है की प्रशासन की ओर से पूरा सपोर्ट किया गया। तथा बिल्डरों के लिए भी यह एक सबक है की आगे से गैरकानूनी तरीके से बिंल्डिंग तैयार नहीं करेंगे। लोग गैरकानूनी तरीके से बनी इमारत गिरने के बाद खुश नजर आ रहे है। टावर गिरने के बाद वहां के हवा की गुणवत्ता में भी बदलाव देखने को मिला है। लेकिन लगातार नोएडा अथॉरिटी की ओर से साफ सफाई का काम किया जा रहा है ताकि स्थितियां पहले की तरह सामान्य हो सके।
ध्यान रहे कि 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा सेक्टर-93ए में बने सुपरटेक के ट्विन टॉवर को अवैध घोषित करते हुए गिराने का आदेश दिया था। ट्विन टॉवर के बगल वाली सोसाइटी की RWA ने कोर्ट में शिकायत की थी कि ये टॉवर अवैध तरीके से बनाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि इन्हें बनाने में नियमों की अनदेखी हुई। नोएडा अथॉरिटी के अफसरों का निर्माण में भ्रष्टाचार भी उजागर हुआ। जिस पर कई अफसर सस्पेंड हो चुके हैं।
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सुपरटेक ट्विन टावर का निर्माण जुलाई 2006 में शुरू हुआ। इस दौरान पहली बार 29 दिसंबर 2006 में मानचित्र में संशोधन हुआ। दूसरी बार 26 नवंबर 2009 में माचित्र में संशोधन हुआ। दोनों टावर का निर्माण कार्य 2 मार्च 2012 तक चला। यह प्रोजेक्ट काफी विवादित रहा। बिल्डर और बायर्स की लड़ाई में बायर्स की जीत हुई और सुप्रीम कोर्ट ने टावरों को गिराने का आदेश जारी कर दिया। तथा इनके ध्वस्तीकरण में 17.55 करोड़ खर्च हुए।
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