(आकाश शर्मा)-मणिपुर की हिंसा अभी शांत ही हुई थी ,रविवार की रात में कई हिस्से में फिर आगजनी की खबर आई। जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद सरकार ने सख्ती से निपटने के आदेश दिए। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्यवाही में 40 उग्रवादी मारे जा चुके हैं।
हिंसाग्रस्त मणिपुर में शांति बहाली के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी कई जगहों पर हिंसा की खबरें लगातार सामने आ रही हैं।रविवार को भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बताया कि सुरक्षाबलों ने जातीय दंगों से घिरे उत्तर पूर्वी राज्य में शांति बहाली एक अभियान शुरू किया और अभी तक सुरक्षाबलों को 40 उग्रवादियों को खत्म करने में कामयाबी मिली है। यही सब लोग मिलकर मणिपुर के कई हिस्से में आगजनी की घटना को अंजाम दे रहे थे।
उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प गोलीबारी
पुलिस अफसरों ने बताया कि रविवार गोलीबारी की विभिन्न घटनाओं में कम से कम दो लोग मारे गए और 12 लोग घायल हो गए ।पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इंफाल के कई इलाके में कुकी उग्रवादियों ने गोली बारी की जिसमें कई लोग घायल हो गए, और 2 लोगों की मौत भी हो गई। यह सब इसलिए हो रहा है जब से सुरक्षाबलों ने शांति बहाली अभियान शुरू किया।
जानिए मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?
मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं । वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसपास है। राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं। मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है।सिर्फ 10 फी फीसदी ही घाटी में बसा है। पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है। मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं । लेकिन पहाड़ी इलाकों में बस सकते हैं। मैतेई समाज भी SC/ST दर्जा की मांग कर रहे हैं। पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है।
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