(आकाश शर्मा)- HUMAN RESEARCH-‘ब्रेन, बिहेवियर और इवोल्यूशन’ के नए शोध में मानवीय मस्तिष्क को लेकर बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस शोध में बताया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण इंसानी दिमाग का आकार 10.7% तक सिकुड गया है। अब तक दिमाग सिकुड़ने का कारण बढ़ता हुआ मोटापा माना जा रहा था, लेकिन इस अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मस्तिष्क के आकार पर भी पड़ता है।
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कुछ जीवों का दिमाग विकसित हुआ, मानव के साथ उल्टा हुआ
कैलिफोर्निया स्थित नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के साइंटिस्ट जेफ मॉर्गन स्टिबल ने कहा कि जिस तरह से अभी मौसम बदल रहा है, तापमान बढ़ रहा है ऐसे में मनुष्य मस्तिष्क को समझना आसान नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि इस शोध के लिए 298 मानव अवशेषों को नमूने के तौर पर इस्तेमाल किया गया। जिसमें ये पाया गया कि मानव मस्तिष्क का आकार धीरे धीरे घट रहा है। जेफ ने ये भी बताया कि पिछले कुछ लाख सालों में कई प्रजातियों के जीवों का दिमाग विकसित हुआ है, लेकिन मानव मस्तिष्क के साथ उल्टा हुआ है।
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मस्तिष्क के आकार के आंकड़ों की चार जलवायु के साथ तुलना की गई। जेफ का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आधुनिक इंसानों के मस्तिष्क के आकार में 10 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है, अगर तापमान में वृद्धि जारी रही तो इससे इंसानी दिमाग पर ज्यादा ही प्रभाव पडेगा।
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