Lok Sabha Election : 2024 के लोकसभा चुनावों के नजदीक आते ही जनहित के मुद्दे सामने आने लगे हैं।जम्मू कश्मीर में बिजली कटौती, पानी की कमी और महंगाई समेत कई मुद्दे हैं जिनका सीधा सरोकार जनता से है।लोगों का कहना है कि बढ़ती कीमतों ने आम आदमी पर बोझ डाला है। वैसे तो इससे हर कोई प्रभावित है लेकिन दिहाड़ी पर काम करने वालों का जीना ही मुहाल हो गया है।जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से ही यहां विधानसभा के चुनाव नहीं हुए हैं। पांच साल का इंतजार लगातार लंबा होता जा रहा है। लोगों की मांग है कि अब चुनावों में और देर नहीं करनी चाहिए।
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जम्मू कश्मीर में रोजगार का मुद्दा बहुत अहम है। युवाओं को रोजगार न मिलने से परेशानियां और बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है।रोजगार के इतर लगातार बिजली कटौती, और बढ़ती मांग के कारण, कश्मीर में बिजली संकट काफी बढ़ गया है। इससे लोगों के साथ-साथ कारोबारियों को भी दिक्कत हो रही है।आम चुनाव होने में कुछ ही महीने बचे हैं। जम्मू कश्मीर के लोगों का मानना है कि चुनी हुई सरकार न होने की वजह से जनता की आवाज शासन तक नहीं पहुंच पा रही है।
शौकत अहमद बुच्च, निवासी, श्रीनगर: सबसे बड़ा मसला तो पावर का है। पावर तो होता ही नहीं है। पानी वो भी है नहीं। कभी आता है, कभी जाता है। दिन में मेरे ख्याल में दो दफा पावर आ जाता है फिर चला जाता है। इन्होंने स्मार्ट मीटर लगाए। तो मेरे ख्याल में उसका कोई मसला ही नहीं है।
इरफान अली, निवासी, बडगाम: मैं यहां खुद बीए कम्प्लीट किया है। बैचलर ऑफ आर्ट्स में, ऑफ द कम्प्यूटर एप्लिकेशन, जो मुझे सबसे बड़ा सोशल कॉज लगा, जो मैं फेस कर रहा हूं खुद ही, और जो मेरे फ्रेंड्स हैं, जो मेरे बैचमेट्स हैं, कोई पोस्ट नहीं निकल रहे अभी। अनएम्प्लॉयमेंट बहुत ज्यादा है। अगर यहां पे कुछ इंडस्ट्रीज आती है, अच्छे-अच्छे जैसे आईबीए है, जैसे टाटा का ग्रुप आता है इधर, या जैसे महिन्द्रा है, तो अगर उनमें हमें अपॉर्चुनिटी मिलती है, उधर पे जाने के लिए, तो जो ये अनएम्प्लॉयमेंट है, ये खत्म हो जाती।”
शब्बीर अहमद नाइक, निवासी, श्रीनगर: कश्मीर में जो है, थाउजैंट्स के हिसाब से मुद्दे हैं, लेकिन जो मुद्दा है अभी यूथ का है। अनएम्प्लॉयमेंट, जो यूथ बैठी हुई है, बेकार यूथ है और गोल का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जब तक यहां पे असेम्बली इलेक्शन नहीं होंगे, काम नहीं होंगे। क्योंकि आप जानते हैं जम्मू कश्मीर के अंदर जब से यूटी है तो मुझे लगता है कि अफसरशाही चल रही है। और लोगों के जो ग्रासरूट पे काम हैं, वो सही तरीके से नहीं हो रहे हैं। पहले एमसीजी और पंचायत जो थी, उनका भी काम खत्म हो गया है, तो आज लोग बड़े परेशान हैं। लोग चाहते हैं कि इलेक्शन हो। गवर्मेंट जो लोग चुनें, वो गवर्मेंट आए।”
नजीर अहमद, निवासी, गांदरबल: महंगाई तो हद से ऊंची हो चुकी है। तेल की दो लीटर बोतल हमें मिलती है 400 रुपये में। हमारे गांव में। तो हल्दी-मिर्ची, जो सब्जी है हम खाने के लिए लेते हैं, वो 50 से कम वो भी नहीं है। 50 रुपये में देते हैं वो बाजार में। कहीं से उधार-सुधार लेना पड़ता है। ऐसे अपनी जिंदगी गुजारा करते हैं। महंगाई बहुत हो चुकी है।”
(SOURCE PTI)