Vrindavan: मथुरा-वृंदावन में रविवार को बांके बिहारी के प्राकट्य उत्सव पर आस्था का सैलाब उमड़ा। श्रद्धालु भगवान बांके बिहारी की एक झलक पाने को बड़े आतुर दिखे। विधि-विधान से पूजा-पाठ कर लोगों ने जमकर भजन-कीर्तन किए और भजनों पर थिरकते नजर आए।
बांके बिहारी के प्राकट्य उत्सव पर पुजारियों ने विधि-विधान से पूजा पाठ कर प्रभु बांके बिहारी का ‘अभिषेक’ किया। भगवान के दर्शन करने के लिए भक्त बड़े ही आतुर दिखे। पुजारी जी ने बताया कि ये “बांके बिहारी महाराज का 542वां प्राकट्य उत्सव है। आज मंदिर बहुत ही प्यारा ठाकुर जी के रंग और बसंत में रंगा हुआ है। और आज स्वामीजी महाराज बाके बिहारी जी की सवारी आई है बधाई देने के लिए स्वामी महाराज आते हैं। आज ठाकुर जी के उत्सव पर हलवा मेवा, केसर कस्तूरी का बनाया गया और सुबह पांच बजे ठाकुर जी का महाभिषेक हुआ। जोकि दूध, दही, घी से और कुछ जड़ी बूटियों से किया जाता है”।
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आपको बता दें, “आज ही के दिन श्री हरिदास जी महाराज ने श्री निधिवन राज में ठाकुर जी को अपनी तपस्या से प्रकट किया था। आज सुबह सबसे पहले चार बजे ठाकुर जी का पंचामृत से अभिषेक किया। उसके बाद डोला निकलता है शोभा यात्रा निकलती है। जो आरती के समय मंदिर पहुंचती है। आज के दिन की खासियत ये है कि स्वामी जी आज की तिथि पर भक्तों को आशीर्वाद देने मंदिर पहुंचते हैं।” मंदिर में भीड़ तो बहुत ज्यादा है।
रविवार का दिन और प्राकट्य दिवस एक दिन पड़ने से वृंदावन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। इस वजह से श्रद्धालुओं को थोड़ी दिक्कत भी हो रही है। बिहारी जी में भक्तों की गहरी आस्था है और मौका उनके ही प्राकट्स उत्सव का है तो वृंदावन में हर ओर जय हो बांके बिहारी लाल की गूंज ही सुनाई दे रही है। विक्रम संवत 1562 में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर वृंदावन के निधिवन में श्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य हुआ था।
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