प्रदीप कुमार – गांधीनगर में गुजरात विधान सभा के सदस्यों के लिए दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम, जिसका उद्घाटन लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कल किया था, आज गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के समापन भाषण के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए, राज्यपाल देवव्रत ने गुजरात विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए एक प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित करने की पहल की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कार्यक्रम के दौरान साझा किए गए अनुभवों से सदस्यों को अपना विधायी काम प्रभावी ढंग से करने में मदद मिलेगी। राज्यपाल देवव्रत ने सदस्यों को भारत में प्राकृतिक खेती की आवश्यकता के बारे में बताया। कैंसर और हार्ट अटैक जैसी बढ़ती जीवन शैली की बीमारियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन बीमारियों का मुख्य कारण खाद्यान्न की खेती में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग है।
श्री देवव्रत ने कहा कि अगर किसान रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग जारी रखेंगे जैसे वे अभी कर रहे हैं, तो भारत में कैंसर विस्फोट होगा। जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के बीच के अंतर के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि जहां जैविक खेती ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं, वहीं प्राकृतिक खेती इन समस्याओं का समाधान है। श्री देवव्रत ने सदस्यों से आग्रह किया कि वे किसानों को रासायनिक खेती के स्थान पर जैविक खेती के बजाय प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए शिक्षित करें। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने प्रबोधन कार्यक्रम के समापन के अवसर पर कहा कि गुजरात की 15वीं विधानसभा में निर्वाचित सभी विधायक जनता के प्रतिनिधि हैं, नागरिकों की आवाज हैं, इसलिए सदन में जनता के प्रश्नों के निवारण हेतु आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते सदन में सदस्यों का व्यवहार, सवालों और समस्याओं की चर्चा में भाग लेने का तरीका सदैव जनता की नजर में रहता है। उन्होंने आगे कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि प्रबोधन कार्यक्रम में जनसमस्याओं के विभिन्न विषयों पर दिया गया मार्गदर्शन भविष्य में सभी सदस्यों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इससे पहले, राज्यपाल का स्वागत करते हुए गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी ने सदस्यों की क्षमता निर्माण के लिए विधानसभा में की गई कई पहलों का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का लाभ विधायकों के कामकाज में दिखेगा। इस प्रबोधन कार्यक्रम में मुख्य रूप से सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की संवैधानिक भूमिका की गहन जानकारी के साथ ही सदस्यों को विधायिका की कार्य प्रणाली, संसदीय परंपराओं, बैठकों और शिष्टाचार के विषय में बताया गया।
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प्रबोधन कार्यक्रम में गुजरात विधान सभा के सदस्यों को ‘प्रभावी विधायक कैसे बनें?’; ‘समिति प्रणाली और संसदीय प्रश्न’; ‘बजटीय प्रक्रिया’; ‘विधायी प्रक्रिया’; ‘जी-20 में भारत की अध्यक्षता’; ‘सदन में अविलंबनीय लोक हित के मामलों को उठाने के प्रक्रियात्मक साधन; ‘विधायिका के कार्यकरण: क्या करें और क्या न करें’; ‘संसदीय विशेषाधिकार और आचार; तथा ‘लोकतंत्र में संवैधानिक निकायों का महत्व’ जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। गुजरात विधानमंडल के सदस्यों के लिए इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा गुजरात विधान सभा सचिवालय के समन्वय से किया गया।