अमन पांडेय : अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के चंगुल में फंसे अडाणी ग्रुप ने अपने निवशकों को कंपनी पर भरोसा बरकरार रखने की कोशिश की है। बुधवार को ग्रुप ने निवेशकों तक को आश्र्वस्त किया है कि उनकी बैलेंस शीट अच्छी स्थिति में है। इन्वेस्टर्स से चर्चा के दौरान ग्रुप सीएफओ का ये बयान ऐसे समय पर आया है, जबकि उसका मार्केट कैप आधे से ज्यादा घट गया है।
बुधवार को शेयर बाजार में कारोबार के दौरान अडाणी ग्रुप के चार शेयरों में फिर से लोअर सर्किट लगा है। लेकिन बाकी कंपनियों के शेयर हरे निशान पर कारोबार करते हुए नजर आए। इस बीच कंपनी की ओर से बैलेंस शीट दुरुस्त होने की बात कही गई और बताया गया कि हिंडनबर्ग के असर के बावजूद उनका फोकस ग्रुप के कारोबार की रफ्तार को बनाए रखने पर है।
अडाणी ग्रुप के मुख्य वित्त अधिकारी CFO जुगशिंदर रॉबी सिंह ने तिमाही नतीजों के बाद निवेशकों के साथ चर्चा करते हुए उन्हें भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा, हमारे पास पर्याप्त नतीजों के बाद निवेशकों के साथ चर्चा करते हुए उन्हें भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पर्याप्त नकदी है और हम अपने कर्जों को चुकाने की क्षमता रखते हैं। सिंह ने आगे कहा कि मौजूदा बाजार के स्थिर होते ही हम अपनी पूंजी बाजार रणनीति की फिर से समीक्षा करेंगे। उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि हमारा ध्यान बाजार के उतार-चढ़ाव में कारोबार की रफ्तार जारी रखने पर केंद्रित हैं।
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सीएफओ जुगशिंदर रॉबी सिंह ने निवेशक चर्चा में कहा कि ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का अनुशासित तरीके से पूंजी लगाने का 25 वर्षों का इतिहास रहा है और इस अवधि में समूह की कंपनियां कई क्षेत्रों में अगुवा बनकर उभरी हैं। बता दें कि हिंडनबर्ग से ग्रुप पर पड़े असर के बीच अब गौतम अडानी ने शॉर्ट सेलर फर्म से आर-पार का मन बना लिया है और कानून लड़ाई के लिए अमेरिकी लॉ फर्म वॉचटेल को चुना है। ये वही लॉ फर्म है जिसे ट्विटर ने एलन मस्क के खिलाफ इस्तेमाल किया था और 44 अरब डॉलर की डील अंजाम तक पहुंची थी।